हाथों के बल चलकर मां नर्मदा की परिक्रमा कर रहे धर्मपुरी महाराज, अमरकंटक से शुरू की 3500km लंबी असाधारण परिक्रमा
धर्मपुरी महाराज ने अमरकंटक से मां नर्मदा की असाधारण परिक्रमा शुरू की है, जिसमें वे 3500 किलोमीटर की यात्रा हाथों के बल चलकर पूरी कर रहे हैं। यह परिक्रमा लगभग चार साल में पूरी होने की उम्मीद है। यह उनकी तपस्या और समर्पण का प्रतीक है, जो लोगों के लिए आस्था का अद्भुत उदाहरण बन गया है।
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प्रतिदिन धर्मपुरी महाराज तीन किलोमीटर की कर रहे परिक्रमा (फोटो सोर्स- जेएनएन)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां नर्मदा की असाधारण परिक्रमा धर्मपुरी महाराज ने अमरकंटक से दशहरा पर्व के दिन से शुरू की है। धर्मपुरी महाराज की परिक्रमा इसलिए असाधारण है क्योंकि सभी लोग पैर से चलकर मां नर्मदा की परिक्रमा करते हैं जबकि धर्मपुरी महाराज हाथों के बल से चलकर 35 सौ किलोमीटर की परिक्रमा करने का संकल्प लिया है।
मां नर्मदा के यूं तो भक्त निराले हैं। अलग अलग तरीके से कठिन साधना करने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन ऊबड खाबड भरे मार्ग में इस तरह की साधना चर्चा की विषय बनी हुई है। बताया गया कि यह कठिन परिक्रमा लगभग चार वर्ष में पूरी होगी।
महाराज जी अभी तक लगभग 30 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं। वे एक दिन में लगभग तीन किलोमीटर की परिक्रमा कर रहे हैं। उनके साथ उनके शिष्य भी परिक्रमा में साथ चल रहे हैं। डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड निवासी में महाराजश्री ने हाथ के सहारे परिक्रमा शुरू कर दी है।
परिक्रमा को बताया तपस्या के साथ समर्पण
गौरतलब है कि मां नर्मदा की हजारों लोग पैदल परिक्रमा करते हैं, तो कुछ दंडवत होकर भी इस कठिन यात्रा को पूरा करते हैं। कुछ लोग वाहनों से भी परिक्रमा करते हैं, लेकिन धरमपुरी महाराज हाथों के बल चलकर मां नर्मदा की परिक्रमा करने के बडे संकल्प में जुटे हुए हैं। आस्था का ऐसा अद्भुत और दुर्लभ नजारा शायद ही लोगों ने कभी देखा होगा।
धर्मपुरी महाराज ने अपना यह संकल्प अमरकंटक से शुरू किया है। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि तपस्या के साथ समर्पण भी है। उन्होंने बताया कि वे अपने शरीर की सीमाओं को पार कर अध्यात्म के शिखर पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी अदभुत परिक्रमा देखकर लोग भी हैरत में हैं।
स्थानीय लोगों ने क्या बताया
स्थानीय लोगों ने बताया कि अपने जीवनकाल में उन्होंने कई संत देखे हैं, लेकिन इस तरह की परिक्रमा का संकल्प करके परिक्रमा पथ पर हाथों के बल चलते पहली बार किसी संत को देखा है। गौरतलब है कि डिंडौरी से अमरकंटक मुख्य मार्ग में टू-लेन सडक का कार्य चल रहा है। ऐसे में ऊबड खाबड मार्ग से गुजरना सभी के लिए चुनौती बनी हुई है।
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