पायलट लाइसेंसिंग प्रोसेस हुआ आसान, DGCA ने शुरू किया ये सिस्टम
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पायलट लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए 16 अक्टूबर, 2025 से एक स्वचालित प्रणाली शुरू की है। यह प्रणाली डिजिलॉकर के माध्यम से दस्तावेजों का सत्यापन करेगी, जिससे मैन्युअल प्रक्रिया कम होगी। सीबीएसई बोर्ड के उम्मीदवारों के लिए यह सुविधा पहले उपलब्ध होगी, बाद में अन्य बोर्ड भी शामिल किए जाएंगे। यह कदम नागरिक उड्डयन मंत्री के डिजिटलीकरण के प्रयासों का हिस्सा है।

डीजीसीए ने शुरू की नई प्रक्रिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने अपने परीक्षा पोर्टल के जरिए फ्लाइट क्रू (FC) कैंडिडेट्स के लिए कंप्यूटर नंबर जेनरेट करने के लिए एक ऑटोमेटेड सिस्टम शुरू किया है, जो 16 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा।
इस पहल का मकसद पायलट लाइसेंसिंग प्रोसेस को आसान बनाना और एविएशन सेक्टर में बिजनेस करने में आसानी बढ़ाना है। नया सिस्टम एकेडमिक क्रेडेंशियल्स के ऑटोमेटेड वेरिफिकेशन के लिए DigiLocker का इस्तेमाल करके मैन्युअल डॉक्यूमेंट सबमिशन और वेरिफिकेशन को खत्म कर देता है। इससे, जो कैंडिडेट्स एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करते हैं, उन्हें सफल ऑनलाइन सबमिशन के तुरंत बाद उनके कंप्यूटर नंबर मिल जाएंगे।
ऑटो-जेनेरेशन दो चरणों में होगा लागू
डीजीसीए फ्लाइट क्रू एप्लिकेंट्स के लिए कंप्यूटर नंबर का ऑटो-जेनरेशन दो फेज में लागू करेगा। पहले फेज में, यह सुविधा उन कैंडिडेट्स को मिलेगी जिन्होंने CBSE बोर्ड से अपनी क्लास 10 और 12 की परीक्षाएं डिजिलॉकर के जरिए सफल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के साथ पास की हैं।
बाद के फेज में, यह सर्विस दूसरे मान्यता प्राप्त एजुकेशन बोर्ड के कैंडिडेट्स को भी दी जाएगी, बशर्ते उनके क्लास 10 और 12 के सर्टिफिकेट या मार्कशीट डिजिलॉकर पर उपलब्ध हों। इस कदम का मकसद मैनुअल दखल को कम करके और एफिशिएंसी बढ़ाकर पायलट लाइसेंसिंग प्रोसेस को आसान बनाना है।
डीजीसीए परीक्षा पोर्टल पर ऑनलाइन एप्लीकेशन सफलतापूर्वक जमा करने पर एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के अनुसार ऑटो जनरेशन सिस्टम तुरंत अपने आप एक कंप्यूटर नंबर दे देगा। ऑफिशियल रिलीज के मुताबिक, यह नया कदम सिविल एविएशन मिनिस्टर के राममोहन नायडू के बड़े इनिशिएटिव और निर्देशों का हिस्सा है, जिसमें DGCA/BCAS (ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी) ऑफिस में सभी प्रोसेस को eGCA और दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिए डिजिटाइज करने की बात कही गई है।
इसमें आगे कहा गया है कि "यह पक्का करने के लिए है कि स्टूडेंट्स/पायलट/और स्टेकहोल्डर्स के लिए उड़ान भरना और अप्रूवल प्रोसेस आसान हो, जिसमें तुरंत जवाब मिले और कोई इंसानी दखल न हो।"
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