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संसद में घुसने की कोशिश कर रहे शख्‍स को जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया, बाद में किया गया रिहा

संसद भवन में कारतूस के साथ घुसने के प्रयास में सुरक्षा कर्मियों ने एक शख्स को हिरासत में लिया। उसकी पहचान गाजियाबाद निवासी अख्तर खान के रूप में हुई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 06:40 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 11:42 PM (IST)
संसद में घुसने की कोशिश कर रहे शख्‍स को जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया, बाद में किया गया रिहा
संसद में घुसने की कोशिश कर रहे शख्‍स को जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया, बाद में किया गया रिहा

नई दिल्‍ली, जागरण संवाददाता। संसद भवन में कारतूस के साथ घुसने के प्रयास में सुरक्षा कर्मियों ने एक शख्स को हिरासत में लिया। उसकी पहचान गाजियाबाद निवासी अख्तर खान के रूप में हुई है। नई दिल्ली के डीसीपी डॉ. ईश सिंघल ने बताया कि गुरुवार को अख्तर खान नाम का एक व्यक्ति संसद भवन के गेट संख्या-8 से प्रवेश करने आया था। सुरक्षा जांच में उसके बैग में 0.32 बोर के तीन कारतूस बरामद हुए। पूछताछ में उसने बताया कि कारतूस उसकी लाइसेंसी पिस्टल के हैं। भूलवश लेकर आ गया था। हिदायत देकर उसे रिहा कर दिया गया।अख्‍तर खान ने कहा कि वह प्रवेश करने से पहले बाहर निकलना भूल गया था। 

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सांसद की कार बैरियर से टकरार्इ, जवानों ने मोर्चा संभाला  

इससे पहले संसद में बजट सत्र के दूसरे दिन तीन मार्च, 2020 को हड़कंप मच गया था। संसद परिसर में प्रवेश के दौरान कौशांबी (उत्तर प्रदेश) से सांसद और भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सोनकर की गाड़ी संसद के बैरियर से टकरा गई। यह टकराव इतना तेज था कि सांसद की गाड़ी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। अनहोनी की आशंका के चलते सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाल लिया था। दुर्घटना के तुरंत बाद सांसद की कार को चारों तरफ से जवानों ने घेर लिया। राइफलें भी तान दीं। सांसद का पहचान पत्र देखने के बाद हालात सामान्य हुए। 

संसद पर हमले के बाद कड़ी की गई सुरक्षा

ज्ञात हो कि संसद के सुरक्षा की 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद काफी कड़ी कर दी गई है। उस दिन एक सफेद एंबेसडर कार में आए पांच आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था। हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे।

उस दिन संसद में विपक्ष के जबरदस्त हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित की जा चुकी थी। इस कारण तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी लोकसभा से निकल कर अपने-अपने सरकारी निवास के लिए कूच कर चके थे, पर तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी अपने कई साथी मंत्रियों और लगभग 200 सांसदों के साथ अब भी लोकसभा में ही मौजूद थे।

संसद के गेट नंबर 11 से एक कार 11.28 बजकर घुसी थी। इस कारण पांच फियादीन बैठे थे, जो हथियारों से लैस थे। कुछ देर में उन्‍होंने गोलियां बरसाना शुरू कर दिया था।


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