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    मलेरिया फैलाने वाले मच्छर का विस्तृत जीनोम मैप तैयार, जेनेटिक्स में बदलाव से बीमारी फैलने से रोकने में मिलेगी मदद

    By Neel RajputEdited By:
    Updated: Thu, 11 Feb 2021 07:34 PM (IST)

    अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के परियोजना विज्ञानी महुल चक्रवर्ती एवं उनके सहयोगियों ने एशियाई मलेरिया वेक्टर (संचारक) मच्छर एनाफिलीज स्टीफें ...और पढ़ें

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    विज्ञानियों ने मच्छर के 3,000 से ज्यादा नए जीन की पहचान की

    नई दिल्ली, प्रेट्र। विज्ञानियों ने मलेरिया का प्रसार करने वाले मच्छर का विस्तृत जीनोम मैप तैयार किया है। मैपिंग में विज्ञानियों को इस मच्छर के 3,000 से ज्यादा नए जीन का पता चला है। इनकी मदद से मलेरिया के प्रसार के खिलाफ जेनेटिक कंट्रोल स्ट्रेटजी विकसित करने में मदद मिलेगी।

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    बेंगलुरु स्थित टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसायटी (टीआइजीएस) और इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइन्फॉर्मेटिक्स एंड एप्लायड बायोटेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने बताया कि वेक्टर जनित (मच्छर, मक्खी आदि से मनुष्य में फैलने वाली) बीमारियों में मलेरिया दुनिया में सबसे घातक बीमारियों में से है। इससे 2019 में करीब चार लाख लोगों की जान गई थी। मलेरिया का प्रसार रोकने में सीआरआइएसपीआर और जीन आधारित रणनीति अहम है। इस रणनीति पर आगे बढ़ने के लिए मच्छर के जीनोम की विस्तृत जानकारी की जरूरत होती है। सीआरआइएसपीआर तकनीक में जीन संशोधन किया जाता है और मच्छर के जीन की क्रियाप्रणाली को बदल दिया जाता है, जिससे बीमारी का प्रसार रुकता है।

    अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के परियोजना विज्ञानी महुल चक्रवर्ती एवं उनके सहयोगियों ने एशियाई मलेरिया वेक्टर (संचारक) मच्छर एनाफिलीज स्टीफेंसी का नया रेफरेंस जीनोम तैयार किया है। टीआइजीएस-यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डियागो के विज्ञान निदेशक प्रोफेसर ईथन बियर ने कहा, 'एनाफिलीज स्टीफेंसी दक्षिण एशिया के शहरी इलाकों का प्रमुख मलेरिया संचारक मच्छर है। इसने हाल में अफ्रीका में भी दखल दी है।'

    विज्ञान पत्रिका बीएमसी बायोलॉजी में प्रकाशित शोध के सह लेखक बियर ने कहा, 'नई जीनोम मैपिंग से एनाफिलीज स्टीफेंसी के जेनेटिक्स अध्ययन में नए युग की शुरुआत होगी।' नई मैपिंग में सामने आए जीन मच्छरों के खून चूसने, खून को पचाने, प्रजनन एवं बीमारी फैलाने वाले जीवाणु के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें बदलाव से बीमारी के प्रसार को रोकने में बड़ी कामयाबी मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत ने 2030 तक मलेरिया मुक्त होने का लक्ष्य रखा है।