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    फुटवियर उद्योग में क्वालिटी कंट्रोल लागू, फिर भी 2026 तक बाजार पर नहीं पड़ेगा असर

    सरकार ने अगस्त 2024 से फुटवियर उद्योग में क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू किया है लेकिन इसके प्रभाव को 2026 तक नहीं देखा जाएगा। छोटे उद्योगों को छूट मिली हुई है जबकि बड़े निर्माताओं को इन नियमों के तहत उत्पादन में बदलाव करना होगा। फुटवियर के कच्चे माल पर गुणवत्ता नियम लागू नहीं हैं जिससे गुणवत्ता में असंगतता बनी रहती है।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Sun, 23 Feb 2025 11:30 PM (IST)
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    सरकार ने फुटवियर उद्योग को अपने पुराने स्टॉक को निकालने के लिए दो साल का समय दिया है।

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रोजगारपरक फुटवियर सेक्टर में सरकार ने क्वालिटी कंट्रोल नियम को पिछले साल अगस्त से लागू तो कर दिया, लेकिन वर्ष 2026 के जुलाई तक बिना गुणवत्ता वाले फुटवियर बाजार में बिकते रहेंगे। इसलिए बाजार में फुटवियर खरीदने के दौरान यह नहीं समझे कि वे अब गुणवत्ता वाले जूते या चप्पल खरीद रहे हैं।

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    सरकार ने फुटवियर उद्योग को अपने पुराने स्टॉक को निकालने के लिए दो साल का समय दिया है। जानकारों का कहना है कि वर्ष 2026 के जुलाई के बाद ही क्वालिटी कंट्रोल नियम का प्रभाव इस उद्योग में दिख पाएगा। हालांकि माइक्रो व स्माल इकाइयों को क्वालिटी कंट्रोल नियम से छूट देने से छोटे सेगमेंट में पहले की तरह ही बिक्री जारी रहेगी।निर्यात होने वाले आइटम पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) का मानक ऐसे ही लागू नहीं होता है। निर्यात होने वाले आइटम पर उन देशों के मानक लागू होते हैं जहां उन्हें निर्यात किया जाता है।

    ताइवान और चीन से आता है मशीन

    फुटवियर उद्योग से जुड़े कंपोनेंट्स पर भी क्वालिटी कंट्रोल लागू नहीं किया गया है। इसलिए फुटवियर के पूरे इको-सिस्टम पर क्वालिटी कंट्रोल का नियम लागू नहीं पाएगा। दूसरी तरफ नए प्रकार के फुटवियर निर्माण के लिए यूनिट लगाने वालों को ताइवान व चीन से मशीनरी का आयात करना पड़ रहा है क्योंकि नवीनतम फुटवियर निर्माण वाली मशीन भारत में नहीं बनती है।

    फुटवियर सेक्टर के निर्माताओं को कहना है कि धीरे-धीरे करके कंपनियां क्वालिटी कंट्रोल नियम के मुताबिक उत्पादन शुरू कर रही हैं क्योंकि गत एक अगस्त के बाद उन्हें बिना गुणवत्ता वाले फुटवियर बेचने की इजाजत तो हैं, लेकिन बनाने की नहीं। वीकेसी के चेयरमैन नौशाद के मुताबिक फुटवियर बाजार में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी गैर लेदर फुटवियर की है और इनके कच्चे माल आयात किए जाते हैं। निर्माताओं के मुताबिक कच्चे माल पर कोई गुणवत्ता नियम नहीं है। ऐसे में उन कच्चे माल से बने फुटवियर को पूर्ण रूप से गुणवत्ता वाला नहीं कहा जा सकता है।

    फुटवियर की बड़ी कंपनियां छोटे-छोटे उद्यमियों से माल नहीं खरीदेंगी

    इंडियन फुटवियर कंपोनेंट्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने बताया कि पीयू सोल जैसे कंपोनेंट्स भारत में बनने लगे हैं, लेकिन कंपोनेंट्स के लिए निर्भरता आयात पर ही है। आधुनिक फुटवियर में डिजाइनिंग खासा महत्व रखता है और डिजाइनिंग में हम चीन की ही नकल कर रहे हैं।

    ऐसे में दूसरे देश के ग्राहक सोचते हैं कि डिजाइनिंग भी चीन की, कंपोनेंट्स भी चीन का तो फुटवियर भारत की जगह चीन से ही खरीद लेते हैं।फुटवियर सेक्टर के जानकारों का कहना है कि छोटे उद्यमियों को क्वालिटी कंट्रोल नियम से फिलहाल छूट दी गई है। ऐसे में फुटवियर की बड़ी कंपनियां छोटे-छोटे उद्यमियों से माल नहीं खरीदेंगी। क्योंकि उनकी गुणवत्ता की गारंटी नहीं होगी।

    जानकारों के मुताबिक गुणवत्ता नियम के लागू होने के बाद चीन व ताइवान से आयात कर भारत में बिक्री करने वाले उद्यमी अब भारत में ही यूनिट लगा रहे हैं, लेकिन मशीन व कच्चे माल दोनों के लिए वे आयात पर ही निर्भर है। चीन से मशीन मंगाने पर उन्हें बाद में इसकी रिपेयरिंग व रखरखाव को लेकर भी चिंता हो रही है क्योंकि मशीन में खराबी आने पर भारतीय मैकेनिक इन आयातित मशीन को ठीक नहीं कर पाते हैं और चीन के मैकेनिक को भारत में आने की इजाजत मिलने में समय लग जाता है। भारत में फुटवियर का बाजार अभी 27 अरब डॉलर के पास है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे फुटवियर निर्माता देश हैं।

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