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तमिलनाडु के साथ जल बंटवारे पर विवाद पर बोले उप मुख्यमंत्री शिवकुमार- निर्णय पर पुनर्विचार करें

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि वह कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) से तमिलनाडु के साथ जल बंटवारे के उनके फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे। शिवकुमार ने कहा कि CWMA ने कर्नाटक सरकार को अगले 15 दिनों में तमिलनाडु को 10000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया है जबकि राज्य पानी की कमी से जूझ रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghPublished: Fri, 18 Aug 2023 10:28 AM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2023 10:28 AM (IST)
तमिलनाडु के साथ जल बंटवारे पर विवाद

बेंगलुरु (कर्नाटक), एजेंसी। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि वह कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) से तमिलनाडु के साथ जल बंटवारे के उनके फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे।

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शिवकुमार ने कहा कि CWMA ने कर्नाटक सरकार को अगले 15 दिनों में तमिलनाडु को 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया है, जबकि राज्य पानी की कमी से जूझ रहा है।

राज्य जल संकट से जूझ रहा- CM शिवकुमार

ANI से बात करते हुए डिप्टी सीएम शिवकुमार ने कहा कि हमें निर्देश मिला कि हमें 15 दिनों के लिए 10,000 क्यूसेक पानी (कावेरी से) छोड़ना है। हम जानते हैं कि राज्य इस समय जल संकट से जूझ रहा है। हम कुछ इलाकों में भयंकर सूखे का सामना कर रहे हैं।

डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि इसके बावजूद भी हमने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की पालना करते हुए पिछले 4 से 5 दिनों में (कावेरी से) पानी छोड़ा है।

हालाँकि, हम प्राधिकरण से निर्णय (तमिलनाडु को पानी छोड़ने के) पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं क्योंकि इसका सीधा असर कर्नाटक में पीने योग्य पानी की उपलब्धता पर पड़ सकता है।

कांग्रेस सरकार ने किसानों को धोखा दिया- बोम्मई

इस बीच, इस मुद्दे पर बोलते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्य में किसानों को धोखा दिया है क्योंकि उसने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के सामने उनकी दुर्दशा नहीं रखी।

पूर्व सीएम बोम्मई ने कहा, कांग्रेस सरकार ने किसानों, खासकर कावेरी नदी बेसिन में रहने वाले किसानों को धोखा दिया है। उन्होंने CWMA के समक्ष अपना मामला नहीं लड़ा।

अब, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हमारे किसानों के लिए खड़ा होना चाहिए और प्राधिकरण के सामने विनम्रतापूर्वक आत्मसमर्पण करने और (तमिलनाडु को) पानी देने के बजाय योग्यता के आधार पर हमारे मामले पर बहस करनी चाहिए। यह हमारे किसानों के साथ धोखा है।

इससे पहले, सोमवार को उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा था कि तमिलनाडु को कावेरी जल छोड़े जाने को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।

इतनी जल्दी SC जाने की नहीं है जरूरत- शिवकुमार

उन्होंने कहा, हम कावेरी के संबंध में अदालत के संकटग्रस्त जल बंटवारा फॉर्मूले का सम्मान करते हैं। तमिलनाडु के लोगों को इतनी जल्दी सुप्रीम कोर्ट जाने की कोई जरूरत नहीं है। हमें दोनों राज्यों के हितों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करना होगा।

कावेरी एक अंतरराज्यीय बेसिन है जो कर्नाटक से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले तमिलनाडु और पांडिचेरी से होकर गुजरती है।

कावेरी बेसिन का कुल जलक्षेत्र 81,155 वर्ग किमी है, जिसमें से नदी जलग्रहण क्षेत्र लगभग 34,273 वर्ग किमी कर्नाटक में, 2,866 वर्ग किमी केरल में और शेष 44,016 वर्ग किमी तमिलनाडु और पांडिचेरी में है।


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