सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुआवजे से वंचित रखना परेशान करने वाला, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेशों के बावजूद सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजे से वंचित रखना परेशान करने वाला है। पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत दावे की याचिकाएं दाखिल करते समय घायलों अथवा क्षतिग्रस्त संपत्ति के मालिकों के नाम एवं पते उनके आधार एवं पैन के विवरण और ईमेल आइडी दाखिल किए जाने चाहिए।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेशों के बावजूद सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजे से वंचित रखना परेशान करने वाला है।
पीठ ने कही ये बात
जस्टिस अभय एस. ओका एवं जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत दावे की याचिकाएं दाखिल करते समय घायलों अथवा क्षतिग्रस्त संपत्ति के मालिकों के नाम एवं पते, उनके आधार एवं पैन के विवरण और ईमेल आइडी दाखिल किए जाने चाहिए।
पीठ ने कहा, 'अगर उपरोक्त विवरण उपलब्ध नहीं कराए जाएं तो उस आधार पर आवेदन के पंजीकरण से इन्कार नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन नोटिस जारी करते समय मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण आवेदक या आवेदकों को जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दे सकते हैं और अनुपालन के लिए नोटिस का विषय बना सकते हैं।'
मुआवजा प्रदान करने का अंतरिम आदेश जारी
साथ ही कहा कि मुआवजा प्रदान करने का अंतरिम या अंतिम आदेश जारी करते समय मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण को मुआवजे के पात्र लोगों को आइएफएस कोड समेत सभी विवरणों वाले बैंकर के प्रमाणपत्र के साथ उनके बैंक खातों का विवरण अथवा बैंक खाते के निरस्त चेक की प्रति प्रस्तुत करने का आदेश देना चाहिए।
दावा करने वालों को निर्धारित समय के भीतर दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने यह आदेश उस स्वत: संज्ञान याचिका पर दिया जिसमें कहा गया है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और श्रम अदालतों में बड़ी धनराशि जमा पड़ी हैं।
पीठ ने कहा कि बदलाव की स्थिति में बैंक खातों व ईमेल आइडी की जानकारी अपडेट रखने के लिए मुआवजे के पात्र लोगों को आगे के निर्देश जारी किए जाएंगे। सहमति के आदेश की स्थिति में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण मुआवजे की राशि को दावेदार को सीधे उसके बैंक खाते में जारी करने का निर्देश दे सकता है।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि सहमति की शर्तों में मुआवजे के पात्र लोगों के खाते के सभी आवश्यक विवरण शामिल होने चाहिए। पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर धनराशि के वितरण के लिए जारी आदेश में भी खाते के विवरण शामिल हो सकते हैं।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के जज पर डाली
बैंकर की ओर से जारी प्रमाणपत्र और मुआवजा प्राप्त करने के पात्र लोग वास्तविक बैंक खाता धारक हैं या नहीं, इसे सत्यापित करने की जिम्मेदारी पीठ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के जज पर डाली है।
खातों का विवरण उपलब्ध कराने की तिथि एवं धनराशि निकालने के लिए आवेदन दाखिल करने की तिथि के बीच लंबा अंतराल होने की स्थिति में न्यायाधिकरण को दावेदारों के बैंक खातों का ताजा विवरण हासिल करना चाहिए।
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