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मुंबई बांद्रा के कब्रिस्तानों में कोरोना संक्रमित को दफनाने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट में आज है सुनवाई

मुंबई बांद्रा के घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमितों का शव दफनाने पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 12:25 AM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 12:25 AM (IST)
मुंबई बांद्रा के कब्रिस्तानों में कोरोना संक्रमित को दफनाने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट में आज है सुनवाई
मुंबई बांद्रा के कब्रिस्तानों में कोरोना संक्रमित को दफनाने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट में आज है सुनवाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुंबई बांद्रा के घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमितों का शव दफनाने पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। कोर्ट इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। यह याचिका बांद्रा वेस्ट में रहने वाले प्रदीप गांधी ने दाखिल की है। बाम्बे हाईकोर्ट के रोक लगाने से इन्कार किये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने गत 27 अप्रैल को गांधी की मांग ठुकरा दी थी।

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हालांकि इस बीच नावापाड़ा मस्जिद बांद्रा और शांताक्रूज गोलीबार दरगाह ट्रस्ट ने भी एक हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर उसे भी इस मामले में सुने जाने की गुहार लगाई है। ट्रस्ट ने याचिका का विरोध किया है और हाईकोर्ट के आदेश को सही बताया है।

कोरोना संक्रमितों को दफनाने से आसपास में संक्रमण फैलने का खतरा

कोरोना संक्रमण से मरे लोगों को बांद्रा के घनी आबादी के बीच स्थित कब्रिस्तान में दफनाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए गांधी ने बांबे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा है कि वहां आसपास स्थित तीन कब्रिस्तानों में कोरोना संक्रमण से मरे लोगों के दफनाने पर रोक लगाई जाए क्योंकि वहां स्थित कब्रिस्तानों के आसपास 330000 लोगों की आबादी निवास करती है। एक किलोमीटर पर करीब 29000 लोगों का घनत्व है। 

सुरक्षा के लिए किए जा सकते हैं उपाय 

कहा गया है कि वहां स्थित तीनों कब्रिस्तान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और याचिकाकर्ता के घर के बिल्कुल नजदीक हैं। ये कब्रिस्तान चारों तरफ से रिहायशी कालोनी से घिरे हुए हैं और बांद्रा के केन्द्र में स्थित हैं। वहां पर कोरोना संक्रमितों को दफनाए जाने से आसपास के इलाके में कोरोना फैलने का खतरा है। कहा गया है कि मुंबई में और भी कब्रिस्तान हैं जो घनी आबादी के क्षेत्र में नहीं पड़ते हैं। रोक की मांग करते हुए कहा गया है कि अभी तक ऐसी को स्टडी रिपोर्ट नहीं आयी है जिसमें निश्चित तौर पर कहा जा सके कि कोरोना संक्रमित को दफनाने से मिट्टी और भूजल के जरिए पड़ोसी इलाके में संक्रमण नहीं फैलेगा। कहा गया है कि भले ही इसके विपरीत भी कोई वैज्ञानिक आधार न आया हो लेकिन ऐतिहात के तौर पर तो सुरक्षा के उपाय किये जा सकते हैं।

ट्रस्‍ट ने याचिका का किया विरोध  

वहीं दूसरी ओर याचिका में पक्षकार बनने की मांग करने वाले नावापाड़ा मस्जिद बांद्रा और शांताक्रूज गोलीबार दरगाह ट्रस्ट ने याचिका का विरोध करते हुए केन्द्र सरकार के दो सर्कुलरों का हवाला दिया है जिसमें कोरोना संक्रमित को दफनाए जाने के लिए गाइडलाइन तय हैं। अर्जी में कहा गया है कि हाईकोर्ट का रोक न लगाने का आदेश बिल्कुल सही है और सुप्रीम कोर्ट को भी रोक नहीं लगानी चाहिए।


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