दिल्ली-NCR नहीं बनेगा गैस चैंबर! पराली को जलाने से रोकने के लिए उड़नदस्ते तैनात, 30 नवंबर तक रहेंगे एक्टिव
पराली को जलाने से रोकने के लिए उड़नदस्ते तैनात किए गए हैं। यह दस्ते स्थानीय स्तर पर राज्यों व जिलों के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे। साथ ही इन जिलों में पराली जलाने की घटनाओं की हर दिन की रिपोर्ट वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को देंगे। इनकी तैनाती फिलहाल पंजाब के 16 और हरियाणा के 10 जिलों में की गई है। प्रत्येक जिले में कम-कम एक टीम तैनात रहेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा में पराली को जलाने से रोकने के लिए पिछले सालों की तरह फिर बड़े-बड़े दावे व उपाय किए जाने लगे है। यह बात अलग है कि इसके बाद भी पिछले साल पंजाब और हरियाणा में पराली खूब जली थी।
फ्लाइंग स्क्वाड की तैनाती
दोनों राज्यों में पराली जलने के करीब 40 हजार मामले रिपोर्ट हुए थे। बावजूद इसके केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पराली को जलाने से रोकने के लिए इस बार फिर पंजाब और हरियाणा के 26 जिलों में उड़नदस्ते (फ्लाइंग स्क्वाड) की तैनाती दी है। इसमें राज्य और संबंधित जिलों के अधिकारी शामिल होंगे।
30 नवंबर तक रहेंगे एक्टिव
दोनों राज्यों के यह सभी ऐसे जिले है जहां पिछले साल सर्वाधिक पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट हुई है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक पंजाब-हरियाणा में तैनात किए गए इन दस्तों ने तत्काल प्रभाव से काम शुरू कर दिया है। जो इन सभी जिलों में 30 नवंबर तक काम करेगा।
प्रबंधन के लिए प्रकोष्ठ गठित
इस बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने जल्द ही मोहाली और चंडीगढ़ में पराली के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रकोष्ठ गठित करने की भी जानकारी दी है। जो राज्य के कृषि विभाग सहित पराली प्रबंधन में लगी राज्य की एजेंसियों व उड़नदस्तों के बीच समन्वय का काम करेगा।
इन जिलों में हुई तैनाती
पंजाब - अमृतसर, बरनाला, बटिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फज्लिका, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मांसा, मोगा, मुक्तसर, पटियाला, संगरूर और तरन तारण।
हरियाणा- अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, सोनीपत और यमुनागर।