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    5 दिन जीवन और मौत के बीच जूझने के बाद मनीष की मौत, परिजनों ने पहले ही लगाया था इलाज में देरी करने का आरोप

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 11:33 PM (IST)

    संजय गांधी अस्पताल में बिजली से झुलसे 13 वर्षीय मनीष साहू की मौत हो गई। परिजनों ने इलाज में देरी का आरोप लगाया। अस्पताल की जांच में सामने आया कि विभागों के तालमेल में कमी के कारण इलाज दो घंटे देर से शुरू हुआ। पहले उसे बर्न वार्ड और फिर वार्ड नंबर 7 में भर्ती करने से मना कर दिया गया था। अस्पताल प्रशासन ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है।

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    डिजिटल डेस्क, रीवा। शहर के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में 5 दिन से भर्ती 13 साल के बच्चे की मौत हो गई। महोबा का मनीष साहू 30 अगस्त को आकाशीय बिजली की चपेट में आकर झुलस गया था। उसे पन्ना से रेफर किया गया। 3 अक्टूबर को परिजन उसे संजय गांधी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। इस दौरान परिजन हाथ में ड्रिप की बॉटल पकड़े हुए स्ट्रेचर पर बच्चे को लेकर भटकते रहे। स्टाफ ने उन्हें बर्न वार्ड भेजा।

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    यहां बच्चे को भर्ती करने से मना कर दिया गया। बाद में उसे 7 नंबर वार्ड भेजा गया, लेकिन वहां भी भर्ती नहीं किया गया।मामले में अस्पताल की ही जांच रिपोर्ट में बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, विभागों के बीच तालमेल न होने के कारण मनीष का इलाज 2 घंटे देरी से शुरू हुआ। दो घंटे बाद शुरू हुआ था इलाज परिजन काफी परेशान हो गए थे। कई मिन्नतें करने के बाद स्टाफ ने बच्चे को ड्रप लगाई।

    ड्रिप को मनीष की दादी खुद पकड़कर हाथ ऊपर करके खड़ी रही। परेशान होकर परिजन ने वहीं से सीएम हेल्पलाइन पर फोन कर शिकायत की। तब जाकर 2 घंटे की देरी से उसे बच्चा वार्ड में भर्ती किया गया। तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी।

    पन्ना से रेफर होकर आया था मरीज

    मनीष साहू को 30 अगस्त को पन्ना जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। तबीयत ठीक होने पर वह पन्ना में था, जहां अचानक उसकी तबीयत फिर बिगड़ी। पन्ना जिला अस्पताल से उसे गंभीर हालत में रीवा के गांधी मेमोरियल अस्पताल के लिए रेफर किया गया था, जहां इलाज में देरी के चलते उसकी मौत हो गई। जांच रिपोर्ट में तालमेल की कमी सामने आई मामला मीडिया में आने के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा ने तीन सदस्यों की एक जांच टीम बनाई थी।

    जांच टीम ने सौंप अपनी रिपोर्ट

    जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट अधीक्षक को सौंप दी है। रिपोर्ट में यह साफ तौर पर माना गया है कि घायल बच्चे का इलाज शुरू होने में विभागों के बीच समन्वय की भारी कमी थी, जिसकी कीमत बच्चे को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

    तालमेल सुधारने की बात

    जांच रिपोर्ट में लापरवाही उजागर होने के बावजूद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई को लेकर कोई ठोस बात नहीं कही गई है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा अब विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने की बात कह रहे हैं।उन्होंने बस इतना कहा कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन द्वारा आगामी कार्रवाई की जा रही है। इस तरह के संवेदनशील मामले में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।