दिल्ली सरकार ने विधानसभा में जड़ा नेता विपक्ष के कमरे पर ताला
दिल्ली विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने पुराना सचिवालय स्थित नेता प्रतिपक्ष के कमरे में पहली बार ताला लटका दिया है। आम आदमी पार्टी की सरकार के रवैये को लेकर शहर के सियासी गलियारों में सवाल उठाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने पुराना सचिवालय स्थित नेता प्रतिपक्ष के कमरे में पहली बार ताला लटका दिया है। आम आदमी पार्टी की सरकार के रवैये को लेकर शहर के सियासी गलियारों में सवाल उठाए जा रहे हैं।
बता दें कि पुराना सचिवालय में बने कमरा नंबर 29 नेता प्रतिपक्ष के लिए होता है। सियासी नेताओं का कहना है कि इससे यह तय है कि आम आदमी पार्टी (आप) भाजपा को नेता विपक्ष का पद नहीं देगी। आप के इस कदम से भाजपा के साथ ही सियासत के अन्य जानकार भी नाखुश हैं। उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विपक्ष की भूमिका को पूरा सम्मान मिलना जरूरी है। इसके लिए दिल्ली विधानसभा के इतिहास से सीख लेनी चाहिए।
क्या कहती है परंपरा
दिल्ली विधानसभा की परंपरा कुछ और कहती है। 1993 में हुए पहले विस चुनाव में भाजपा को 49 तथा कांग्रेस को मात्र 14 सीटों पर जीत मिली थी। विधानसभा में जगप्रवेश चंद्र भाजपा सरकार पर हमला कर रहे थे। इससे नाराज तत्कालीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस के पास नेता विपक्ष जितनी सीटें भी नहीं है फिर भी उन्हें यह दर्जा दिया गया है।
इससे आहत जगप्रवेश ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिली गाड़ी व कमरा छोड़ने का ऐलान कर दिया था। बाद में मुख्यमंत्री ने खेद जताकर उन्हें कमरा व वाहन लेने को राजी किया था। अब एक बार फिर से दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष को लेकर सियासत हो रही है। भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल नजीब जंग से नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के विषय में हस्तक्षेप करने और कानून की व्यवस्था को लागू करने की भी मांग कर चुके हैं।
आप कर ही नियमों की अनदेखी
भाजपा विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि सत्ता दल ऐसा माहौल बनाना चाहती है कि विपक्ष की आवाज सदन के बाहर न सुनाई दे। नियम के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष सदन में सबसे बड़े दल के नेता को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए नियमों के अधीन बाध्य हैं, लेकिन सत्ता पक्ष इसकी अनदेखी कर रहा है। मनीष बयान दे रहे हैं कि यदि भाजपा विपक्ष के नेता का पद मांगेगी तो यह दिया जाएगा। मानो सत्ता पक्ष विपक्ष पर बहुत बड़ी कृपा करेगा, जबकि नियमों के अधीन पहले से ही ऐसा करने की व्यवस्था है।
विस अध्यक्ष बनाएं नेता प्रतिपक्ष
विस के पूर्व सचिव सुदर्शन कुमार शर्मा का कहना है कि जहां तक लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं का सवाल है तो यह सच है कि 1993 में कांग्रेस के नेता जगप्रवेश चंद्र को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कानूनी तौर पर हासिल नहीं था, क्योंकि इस संबंध में नियम कानून तय ही नहीं किए जा सके थे। बाद में तय किया गया कि नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई संख्या नहीं होगी। यदि विस अध्यक्ष चाहें तो भाजपा विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता को नेता प्रतिपक्ष बना सकते हैं।