Delhi Excise Policy Scam Case: संजय सिंह के लिए 6 महीने बाद राहत बनकर आई मनु सिंघवी की ये दलील, सुनते ही कोर्ट ने ले लिया 'सुप्रीम' फैसला
Delhi Excise Policy Scam Case सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति अनियमितता मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता संजय सिंह को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुआई वाली पीठ ने उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुनवाई के दौरान संजय सिंह को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में जमानत दे दी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से पूछा कि क्या संजय सिंह को और अधिक समय तक हिरासत में रखने की आवश्यकता है? इसपर ईडी ने कहा कि हमें कोई आपत्ति नहीं है। यह सुनते ही छह महीने से जेल में बंद संजय सिंह को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, दीपांकर दत्ता और पीबी वराले की पीठ ने रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ और कैसे मिला संजय सिंह को जमानत...
जमानत के नियम और शर्तें विशेष अदालत द्वारा तय
उनकी रिहाई ऐसे समय में हुई है जब आप पार्टी 19 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले नेतृत्व की कमी से जूझ रही है। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया तिहाड़ जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि आप नेता अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं, लेकिन मामले के संबंध में कोई बयान नहीं दे सकते। पीठ ने कहा कि सिंह पूरे मुकदमे के दौरान जमानत पर बाहर रहेंगे और जमानत के नियम और शर्तें विशेष अदालत द्वारा तय की जाएंगी।
संजय सिंह की जमानत पर ईडी को कोई आपत्ति नहीं
लंच के बाद के सत्र के दौरान ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उन्होंने जांच एजेंसी से निर्देश ले लिए हैं और अगर संजय सिंह को जमानत दी जाती है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं मामले की खूबियों पर गौर किए बिना और सभी अधिकारों और तर्कों को खुला रखे बिना बयान दे रहा हूं।
इस आधार पर मिली संजय सिंह को जमानत
उनके इस बयान पर ध्यान देते हुए पीठ ने आदेश दिया कि सुबह के सत्र में एएसजी एसवी राजू को निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि अगर संजय सिंह को एफआईआर से उत्पन्न कार्यवाही में जमानत पर रिहा किया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। बयान के मद्देनजर हम वर्तमान अपील की अनुमति देते हैं और निर्देश देते हैं कि संजय सिंह को ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर मुकदमे के लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा किया जाए।
संजय की जमानत से अन्य नेताओं को राहत की उम्मीद नहीं
पीठ ने कहा कि संजय सिंह को दी गई जमानत की रियायत को मिसाल नहीं माना जाएगा। नतीजतन इस जमानत आदेश से केजरीवाल समेत जेल में बंद अन्य आप नेताओं को ज्यादा मदद नहीं मिल सकेगी। इससे पहले सुबह के सत्र में पीठ ने राजू से निर्देश लेने को कहा था कि क्या ईडी को सिंह की और हिरासत की जरूरत है।
जब संजय के पास से कुछ बरामद नहीं तो जेल में क्यों ?
शीर्ष अदालत जमानत के लिए सिंह की याचिका और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने राजू से कहा कि उनके पास से कोई पैसा बरामद नहीं हुआ है और दो करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों का परीक्षण मुकदमे में किया जा सकता है। राजू ने कहा कि वह लंच के बाद के सत्र में अपनी गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ सिंह की दलीलों का जवाब देंगे।
संजय सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं
सुनवाई के दौरान संजय सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आप नेता को सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने एजेंसी के समक्ष दर्ज दसवें बयान में उनका नाम लिया था। संजय सिंह को इस मामले में पिछले साल 4 अक्टूबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था। संजय सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
संजय सिंह ने इस आधार पर मांगी थी जमानत
उच्च न्यायालय के समक्ष संजय सिंह ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वह कई महीनों से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं बताई गई है। जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका का विरोध किया था और दावा किया था कि संजय सिंह 2021-22 की नीति अवधि से संबंधित दिल्ली शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय को प्राप्त करने, रखने, छिपाने, फैलाने और उपयोग करने में शामिल थे।
संजय सिंह को क्या आरोप है?
एजेंसी ने आगे दावा किया था कि AAP नेता ने अवैध धन या रिश्वत प्राप्त की है जो शराब नीति (2021-22) घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय है और उन्होंने दूसरों के साथ साजिश में भी भूमिका निभाई है। ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर से उपजा है। सीबीआई और ईडी के अनुसार, अब समाप्त हो चुकी दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
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