देश में पहली बार दुष्कर्म के दोषी को '4-बार आजीवन कारावास' की सजा, POCSO कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
एक अदालत ने दो साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की कोशिश करने वाले आरोपी दिनेश डाबर को चार बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पाक्सो कोर्ट ने आरोपी क ...और पढ़ें

दुष्कर्म के दोषी को '4-बार आजीवन कारावास' की सजा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दो साल की बच्ची को घर से उठाकर दुष्कर्म और उसकी हत्या की कोशिश करने वाले आरोपित को न्यायालय ने चार बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायालय पाक्सो) शिप्रा पटेल की कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया।
आरोपित दिनेश डाबर (38 वर्ष), निवासी धार को पाक्सो एक्ट की तीन धाराओं के साथ ही हत्या के प्रयास की धारा में अलग-अलग आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही जबरदस्ती संबंध बनाने की धारा में भी पांच साल की सजा सुनाई गई। दोषी पर कोर्ट ने 42,000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या की कोशिश
विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर एवं प्रीति अग्रवाल ने बताया घटना 13 अक्टूबर 2022 की है। बालिका के पिता ने थाना चंदननगर में सूचना दी कि वह एक निर्माणाधीन भवन में परिवार सहित रहता है वहां चौकीदारी करते हैं। रात में लगभग 2 बजे से उनकी दो साल की वर्षीय जो अपनी मां के पास सो रही थी वह गायब हो गई है।
सुबह डायल-100 के सैनिक अभिनव सेन को बच्ची रेती मंडी रोड स्थित झाड़ियों के पास गंभीर अवस्था में मिली। उसके साथ बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या करने की कोशिश की गई थी।
कोर्ट ने दिनेश को दोषी करार दिया
पुलिस ने जब जांच की तो जहां बच्ची मिली वहां सीसीटीवी फुटेज में एक ट्रक नजर आया। ट्रक से आरोपित की पहचान उसके पिता ने ड्रक ड्राइवर दिनेश डाबर के रूप में की। बाद में पुलिस ने बालिका के शरीर में मिले डीएनए की जांच की तो आरोपित से डीएनए मैच हुआ। पुलिस ने मेडिकल व वैज्ञानिक साक्ष्यों, विशेषकर डीएनए रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। इस मामले में कोर्ट में 31 गवाहों के बयान और वैज्ञानिक और मेडिकल साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने दिनेश को दोषी करार दिया।
महिलाएं घर से बाहर ही नहीं, अंदर भी असुरक्षित हैं- कोर्ट
वहीं कोर्ट ने बालिका को हुई मानसिक और शारीरिक क्षति की पूर्ति के लिए उसे 3 लाख रुपये पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत देने की अनुशंसा भी की है। महिलाएं हैं असुरक्षित कोर्ट ने इस मामले में दोषी को कम सजा देने को सही नहीं माना।
कोर्ट ने आदेश में टिप्पणी की है कि उसने 2 वर्षीय मासूम को घर से उठाकर उसके साथ जघन्य कृत्य किया तथा उसे गंभीर चोटें पहुंचाईं, जो उसकी कुंठित आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है। वर्तमान परिस्थिति में महिलाएं घर से बाहर ही नहीं, बल्कि घर के अंदर भी असुरक्षित हैं। ऐसी स्थिति में न्यूनतम दंड देना न्यायोचित नहीं है।

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