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    चीन की मदद से दिल्ली की हवा होगी साफ, बताया कैसे मिलेगा धुंध और स्मॉग से छुटकारा?

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 08:29 PM (IST)

    दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए चीन ने मदद की पेशकश की है। बीजिंग, जो पहले इसी समस्या से जूझ रहा था, ने सख्त नियमों और तकनीकों का इस्तेमाल करके हवा की गुणवत्ता में सुधार किया। कोयले का उपयोग कम किया गया, वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित किया गया, और व्यापक वृक्षारोपण किया गया। इन प्रयासों से बीजिंग में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ और लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ी।

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    चीन की दिल्ली को प्रदूषण में मदद की पेशकश। जागरण फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के बीच चीन ने दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस समस्या से निपटने के लिए मदद की पेशकश की है। 2010 के दशक की शुरुआत में दिल्ली और बीजींग दोनों ही धुंध और वायु प्रदूषण के अत्यधिक और खतरनाक स्तर से जूझ रहे थे, जहां पीएम 2.5 की सांद्रता नियमित रूप से 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक थी।

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    यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर वार्षिक दिशानिर्देश से 50 गुना ज्यादा थी। नवंबर 2025 तक बीजींग ने निरंतर सुधारों के जरिये वायु प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक अंकुश लगाने में सफलता हासिल कर ली है। आइये जानते हैं चीन ने बीजींग की हवा को कैसे साफ किया।

    चीन की दिल्ली को प्रदूषण में मदद की पेशकश

    नई नीतियों के साथ कड़ाई से लागू किए गए नियम चीनी सरकार ने एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया, जिसमें नई नीतियों के साथ नए नियम बना कर उनको कड़ाई से लागू किया। चीन ने सबसे पहले बीजींग को चुना। यहां दूसरे देशों के दूतावास हैं और वायु प्रदूषण की समस्या चीन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का कारण बन गई थी।

    तमाम बदलाव लाने वाली तकनीकों का परीक्षण बीजींग में किया गया और इसके सकारात्मक नतीजे सामने आने के बाद इसे दूसरी जगहों पर भी लागू किया गया। लो एमिसन जोन की रणनीति वायु प्रदूषण से निपटने और विशिष्ट क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने की बीजींग की रणनीति में लो एमिसन जोन(एलईजेड) जैसी पहलों ने महत्पपूर्ण भूमिका निभाई।

    बीजिंग ने प्रदूषण नियंत्रण में सफलता पाई

    ये क्षेत्र उच्च-उत्सर्जन वाले वाहनों के प्रवेश को सीमित करते हैं, जिससे परिवहन के स्वच्छ और अधिक पर्यावरण-अनुकूल साधनों के उपयोग को बढ़ावा मिलता है। इसके अतिरिक्त, शहर ने प्रदूषणकारी औद्योगिक सुविधाओं को बंद करके और ही¨टग प्रणालियों को उन्नत करके कोयले की खपत को कम करने के लिए काम किया।गैस आधारित इंडस्ट्री बीजींग ने कोयले के इस्तेमाल में कमी लाने में अग्रणी भूमिका निभाई।

    3,000 छोटे बायलरों को चरणबद्ध तरीके से बंद किया और 2017 तक कोयले के इस्तेमाल को 1.5 करोड़ टन तक सीमित कर दिया। यानी 30 प्रतिशत की कटौती। प्राकृतिक गैस और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों ने इस कमी को पूरा किया, और शहर ने 4 गीगावाट सौर और पवन ऊर्जा क्षमता बढ़ाई। वाहनों के प्रदूषण पर नियंत्रण का तरीका बीजींग ने लाइसेंस प्लेट लाटरी के •ारिए वाहनों की संख्या सीमित कर दी और मेट्रो नेटवर्क का विस्तार 1,000 किलोमीटर तक कर दिया।

    कैसे साफ हुई बीजींग की हवा?

    बीजींग ने सार्वजनिक परिवहन, साइकिलिंग और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से चलने वाले ई-वाहनों को अपनाया है, जिससे शहर के परिवहन परि²श्य में नया बदलाव आया है। 2020 तक, सब्सिडी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से नई बिक्री में इलेक्टि्रक वाहनों का योगदान 40 प्रतिशत तक पहुंच गया। 2,000 से ज्यादा कारखाने बंद हो गए या स्थानांतरित हो गए, और सर्दियों के दौरान इस्पात उत्पादन में कटौती की गई।

    निगरानी और पेड़ लगाने पर जोर निगरानी के मोर्चे पर काफी काम किया गया। 1,500 स्टेशनों के एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क ने रियल टाइम पीएम2.5 डाटा उपलब्ध कराया। सार्वजनिक ट्रेकिंग के लिए 'ब्लू स्काई' जैसे एप को सशक्त बनाया गया। बीजींग के आसपास 10 करोड़ पेड़ लगाए। इससे पेड़ों ने बड़ी मात्रा में कार्बन का अवशोषण किया और हवाओं के प्रदूषण को कम करने में बड़ा योगदान दिया।

    ये रहे नतीजे

    2013 से 2017 तक, बीजींग में पीएम2.5 का स्तर 35 प्रतिशत से घटकर 89.5 से 58 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गया। इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत में 25 प्रतिशत की गिरावट आई। 2020 तक, तीन-वर्षीय कार्य योजना ने कोयले की खपत में 15 करोड़ टन की और कटौती की और कुल खपत में स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक बढ़ा दी। सांस की दिक्कतों से जुड़े मामलों में 20 प्रतिशत की कमी आई।

    औसत आयु पर असर

    वायु गुणवत्ता में सुधार ने लोगों की जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने में योगदान दिया है। बीजींग में, पीएम2.5 के स्तर में गिरावट से स्थानीय जीवन प्रत्याशा में लगभग 4.6 वर्ष की वृद्धि होने का अनुमान है। राष्ट्रीय स्तर पर 2013 से औसत जीवन प्रत्याशा में दो वर्ष की वृद्धि हुई है। 2013 और 2020 के बीच, चीन वायु प्रदूषण में कुल वैश्विक कमी के लगभग तीन-चौथाई के लिए जिम्मेदार था। इसके विपरीत, बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान सहित दक्षिण एशियाई देशों में 2000 के बाद से कण प्रदूषण में ¨चताजनक वृद्धि देखी गई है।