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    कावेरी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से टकराव की मुद्रा में कर्नाटक सरकार

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Fri, 23 Sep 2016 09:56 AM (IST)

    कावेरी जल के मुद्दे पर कर्नाटक सरकार अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है। बताया जा रहा है कि एक प्रस्ताव पारित कर सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध करेगी।

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    नई दिल्ली। कावेरी जल के मुद्दे पर कर्नाटक सरकार संवैधानिक टकराव की मुद्रा में नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन कर तमिलनाडु को 6 हजार क्यूसेक पानी 27 सितंबर देने का निर्देश दिया है। लेकिन बताया जा रहा है कि कर्नाटक विधानसभा प्रस्ताव पारित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर सकती है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश कर्नाटक के लोगों के हित में नहीं है।

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    अदालत बनाम कर्नाटक सरकार

    जानकारों का कहना है कि सिद्धरमैया सरकार इस तरह का कदम उठाकर अदालत की अवमानना से खुद को बचा सकती है।कर्नाटक के कई दिग्गज नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार की इस मामले में चुप्पी आश्चर्य करने वाली है। केंद्र अदालत की दुहाई देकर इस मुद्दे पर चुप नहीं रह सकता है। पीएम मोदी को इस संवैधानिक अड़चन को सुलझाने के लिए पहल करनी चाहिए।

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    केंद्र सरकार करे दखल

    कर्नाटक के पूर्व एडवोकेट जनरल रवि वर्मा कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार कर्तव्य है कि वो संघीय ढांचे की रक्षा करे।कर्नाटक सरकार को ही केवल जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। सरकार के पास सत्र को बुलाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है। अगर कर्नाटक सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करती है, तो इसके परिणाम दूसरे नदी जलसमझौतों पर होंगे। कावेरी जल के मुद्दे पर कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों पर भारी दबाव है। इन हालात में केंद्र सरकार की चुप्पी से एक गलत परंपरा की शुरुआत होगी।


    संवैधानिक संकट के आसार

    एक और पूर्व एडवोकेट जनरल बी वी आचार्य ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि इस मामले में क्या होने वाला है लेकिन एक बात तो तय है कि हम संवैधानिक संकट की तरफ बढ़ रहे हैं। वो उम्मीद करते हैं केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में कुछ न कुछ कार्रवाई जरूर होगी। कानून के एक दूसरे जानकार के मुताबिक अगर सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कर्नाटक विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पारित होता है। तो उस मजमून को सावधानीपूर्वक तैयार करने की जरूरत है। अदालत के आदेश की सीधे तौर पर अवहेलना का कर्नाटक पर गंभीर असर पड़ेगा। तमिलनाडु इस बात की आशा करेगा कि कर्नाटक इस तरह की गलती करे जिसका फायदा उसे मिले।

    'सभी विकल्पों पर विचार'

    कर्नाटक के कानून और संसदीय मंत्री टी वी जयचंद्रा ने कहा कि फिलहाल वो इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं। सत्र के दौरान सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी। उन्हें उम्मीद है कि सभी दल इस मुद्दे पर एक साथ सरकार का समर्थन करेंगे।

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