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    रक्षा भूमि पर अतिक्रमण, केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में खुलासा

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 09:01 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कई राज्यों और संस्थाओं ने रक्षा भूमि पर अतिक्रमण किया है, जिसे हटाने के प्रयास जारी हैं। अदालत ने अतिक्रमण हटाने के कदमों की निगरानी के लिए गठित समिति को दो सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है। अटार्नी जनरल ने बताया कि समिति को कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।

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    कई राज्यों व संस्थाओं ने किया है रक्षा भूमि पर अतिक्रमण (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कई राज्य सरकारों और उनकी संस्थाओं के अलावा अन्य ने भी रक्षा भूमि पर अतिक्रमण किया है। उन्हें रक्षा भूमि से हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त स्वतंत्र समिति को रक्षा भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी करने और दो सप्ताह में अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि समिति अतिक्रमण किए गए स्थानों का दौरा कर रही है और अतिक्रमण की पहचान कर रही है।

    'बारीकी से जांच की है जरूरत'

    लेकिन समिति को कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए अदालत के कुछ निर्देश और हस्तक्षेप आवश्यक है। वर्ष 2014 में देशभर में रक्षा भूमि पर कथित अतिक्रमण की जांच के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले गैरसरकारी संगठन 'कॉमन काज' के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि समिति को बारीकी से जांच करनी होगी।

    उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि एक स्वतंत्र नियामक संस्था की आवश्यकता है। इस पर पीठ ने भूषण से कहा कि जो भी निकाय गठित किया जाएगा, उसे स्थानीय राजस्व अधिकारियों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों की मदद लेनी होगी।

    कब होगी अगली सुनवाई?

    पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर के लिए निर्धारित करते हुए कहा, 'अंतरिम रिपोर्ट दाखिल होने के बाद हम देखेंगे कि क्या निर्देश जारी किए जा सकते हैं।'केंद्र सरकार ने 30 जुलाई को अपने हलफनामे में अदालत को सूचित किया था कि देशभर में 75,629 एकड़ रक्षा भूमि में से वर्तमान में 2024 एकड़ भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है और 1575 एकड़ भूमि उन लोगों के अनधिकृत कब्जे में है जिन्होंने कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि पट्टे पर ली थी।

    रक्षा मंत्रालय की ओर से दाखिल स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 819 एकड़ भूमि राज्य और केंद्र सरकार के विभागों या उनके उपक्रमों के कब्जे में विभिन्न सार्वजनिक-उपयोगी उद्देश्यों के लिए है, जैसे सड़कें बनाना, स्कूल, सार्वजनिक पार्क और बस स्टैंड का निर्माण करना, इसके अलावा प्रशासनिक कारण भी हैं।