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आकाश मिसाइलों से होगी पाक और चीन से लगी सीमाओं की रखवाली, रक्षा मंत्रालय की बैठक

पाकिस्‍तान और चीन के साथ लगी सीमाओं पर विमानों की घुसपैठ रोकने के लिए आकाश मिसाइलों की तैनाती होगी। रक्षा मंत्रालय दो रेजिमेंटों को हासिल करने के प्रस्‍ताव पर चर्चा करने वाला है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 02:20 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 04:23 PM (IST)
आकाश मिसाइलों से होगी पाक और चीन से लगी सीमाओं की रखवाली, रक्षा मंत्रालय की बैठक
आकाश मिसाइलों से होगी पाक और चीन से लगी सीमाओं की रखवाली, रक्षा मंत्रालय की बैठक

नई दिल्‍ली, एएनआइ। पाकिस्‍तान और चीन (Pakistan and China) के साथ लगती पहाड़ी सीमाओं से विमानों की घुसपैठ को रोकने के लिए रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) आकाश प्राइम मिसाइलों (Akash Prime missiles) की दो रेजिमेंटों के अधिग्रहण करने के प्रस्‍ताव पर चर्चा करेगा। इन मिसाइलों को 15 हजार फुट की ऊंचाई वाले इलाकों पर तैनात किया जा सकता है। बता दें कि नई विकसित उन्‍नत आकाश मिसाइलों की मारक क्षमता इसकी पूर्ववर्ती मिसाइलों से काफी अधिक है और इन्‍हें पाकिस्‍तान और चीन से लगती सीमाओं पर लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। 

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उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय को उन्‍नत आकाश एयर डिफेंस मिसाइलों की दो रेजिमेंटों के लिए लगभग 10,000 करोड़ रुपये की खरीद के सेना के प्रस्ताव पर विचार करेगा। आकाश प्राइम मिसाइलें सेना में पहले से मौजूद मिसाइल सिस्टम का अत्‍याधुनिक संस्करण है। लद्दाख से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Army Chief General Bipin Rawat) की वापसी के बाद रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। यदि उक्‍त प्रस्‍ताव पर मंजूरी मिल जाती है तो सेना आकाश प्राइम या बेहतर प्रदर्शन वाली आकाश मिसाइलों की दो रेजीमेंटों का अधिग्रहण करेगी। 

आकाश मिसाइलें ध्वनि की गति से साढ़े तीन गुना तेजी के साथ लक्ष्‍य तबाह कर सकती हैं। विशेष रडार सिस्टम से लैस ये मिसाइलें एक साथ दुश्मनों के 40 लक्ष्‍यों को ट्रैक कर सकती है और सतह से हवा में 30 किलोमीटर दूरी पर दुश्‍मन के ठिकानों को नेस्‍तनाबूद कर सकती हैं। बीते दिनों केंद्र सरकार ने पाकिस्‍तान और चीन से लगती सीमाओं पर वायुसेना के लिए पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस मिसाइलों की छह स्क्वाड्रनों की खरीद को मंजूरी दी थी। शुरुआत में तो केवल दो आकाश प्रणालियों का ऑर्डर दिया था लेकिन बीते साल हुए अभ्यास में इजरायल समेत अन्य वायु रक्षा मिसाइलों में आकाश मिसाइल का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहने के कारण रक्षा मंत्रालय ने विदेशी प्रणालियों की खरीद के बजाए आकाश का चयन किया था।

आकाश मिसाइल सिस्‍टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। मालूम हो कि सेना के पास पहले से ही आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की दो रेजिमेंट हैं। लेकिन हालिया तनावों को देखते हुए सेना पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की दो और रेजिमेंटों की तैनाती करना चाहती है। आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की दो और रेजिमेंटों की तैनाती को 'मेक इन इंडिया' को मजबूती देने के लिए भी मुफीद माना जा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर गठित कैबिनेट कमेटी ने वायु सेना के लिए सतह से हवा में मार करने वाली इन मिसाइलों के सात स्क्वाड्रन की खरीद परियोजना को मंजूरी दी थी। 


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