Domestic Defence Industry: राजनाथ सिंह ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाया बड़ा कदम, जानकर आप भी करेंगे तारीफ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 780 लाइन एलआरयू/उप-प्रणालियों/घटकों की तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) को एक समय सीमा के साथ मंजूरी दे दी है जिसके बाद अब उन्हें केवल घरेलू उद्योग से ही खरीदा जाएगा।

नयी दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने 780 घटकों और उप प्रणालियों की एक नई सूची को मंजूरी दे दी है, जो घरेलू उद्योग से केवल छह साल की समय-सीमा के तहत आयात पर प्रतिबंध लगने के बाद खरीदी जाएगी। यह तीसरी ऐसी 'सकारात्मक स्वदेशीकरण' सूची है जिसमें विभिन्न सैन्य प्लेटफार्मों, उपकरणों और हथियारों के लिए उपयोग की जाने वाली लाइन प्रतिस्थापन इकाइयों, उप-प्रणालियों और घटकों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) द्वारा आयात को कम करना है।
रक्षा मंत्रालय ने दिसंबर 2023 से दिसंबर 2028 तक की अवधि में वस्तुओं के आयात प्रतिबंध के लिए विशिष्ट समय सीमा निर्धारित की है।
समय सीमा के साथ मिली मंजूरी
रविवार को एक बयान में कहा गया, 'रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 780 लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट्स (एलआरयू)/सब-सिस्टम्स/कंपोनेंट्स की तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची को एक समय सीमा के साथ मंजूरी दे दी है, जिसके बाद उन्हें केवल घरेलू उद्योग से ही खरीदा जाएगा।' यह सूची दिसंबर 2021 और मार्च 2022 में लाई गई दो समान सकारात्मक सूचियों के क्रम में है।
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh has approved the third Positive Indigenisation List (PIL) of 780 strategically important Line LRUs/Sub-systems/Components with a timeline beyond which they will only be procured from the domestic industry. pic.twitter.com/mMF9cZ6ijk
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 28, 2022
क्या है 'मेक' श्रेणी का उद्देश्य?
- मंत्रालय ने कहा, 'इन वस्तुओं का स्वदेशीकरण 'मेक' श्रेणी के तहत विभिन्न मार्गों से किया जाएगा।'
- 'मेक' श्रेणी का उद्देश्य रक्षा निर्माण में भारतीय उद्योग की अधिक भागीदारी को शामिल करके आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
- मंत्रालय ने कहा, 'उद्योग द्वारा उपकरणों, प्रणालियों, प्रमुख प्लेटफार्मों या उसके उन्नयन के डिजाइन और विकास से संबंधित परियोजनाओं को इस श्रेणी के तहत लिया जा सकता है।'
- इन वस्तुओं के स्वदेशी विकास से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और डीपीएसयू की आयात निर्भरता कम होगी।
मंत्रालय ने कहा, 'इसके अलावा, यह घरेलू रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं का उपयोग करने और भारत को इन प्रौद्योगिकियों में एक डिजाइन नेता के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।' इसमें कहा गया है कि डीपीएसयू जल्द ही एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट (ईओआई) और रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) जारी करेंगे।
सरकार ने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किए कई उपाय
- पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं।
- भारत, अपने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर पड़ोसियों से कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, विश्व स्तोर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है।
- अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बलों को अगले पांच वर्षों में पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब अमेरिकी डालर (एक अरब रुपये 100 करोड़ रुपये के बराबर) खर्च करने का अनुमान है।
- सरकार अब आयातित सैन्य प्लेटफार्मों पर निर्भरता कम करना चाहती है और घरेलू रक्षा निर्माण का समर्थन करने का फैसला किया है।
रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में रक्षा निर्माण में 25 बिलियन अमेरिकी डालर (1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा है जिसमें 5 बिलियन अमेरिकी डालर के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात लक्ष्य शामिल है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।