दबे-कुचले और गरीब लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया जीवन, ऐसे थे बाबा आमटे
बाबा आमटे का जन्म एक धनी परिवार में हुआ था उसके बाद भी वो गरीब और दबे कुचले लोगों की सेवा में लगे रहे। उन्होंने अपना पूरा जीवन इन्हीं लोगों को समर्पित कर दिया।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आमतौर पर यही देखा जाता है कि बड़े परिवार में जन्म लेने वाले लड़के ऐशो आराम से जीवन जीते हैं, एक अच्छी शिक्षा-दीक्षा लेकर एक व्हाइट कालर जॉब करते हैं मगर महाराष्ट्र के वर्धा में जन्मे बाबा आमटे के साथ ऐसा नहीं हुआ। वो जन्में तो धनी परिवार में थे मगर अपना जीवन समाज के दबे-कुचले और गरीब लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।
बाबा आमटे का पूरा नाम मुरलीधर देवीदास आमटे था। उन्होंने देश के कुष्ठ रोगियों के सशक्तिकरण के लिए काम किया, इस वजह से उनके योगदान को भूलाया नहीं जा सकता है। वो सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई। वो वन्य जीवन संरक्षण और नर्मदा बचाओ आंदोलन शामिल है।
जीवन परिचय
बाबा आमटे का जन्म 26 दिसम्बर 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में हुआ था। उन्होंने एमए एलएलबी तक की पढ़ाई की, लेकिन शुरुआत से ही उनका मन गरीबों के लिए धड़कता था। इसलिए बाबा आमटे ने कोई नौकरी करने के बजाए महात्मा गांधी और विनोबा भावे से प्रभावित होकर पूरे भारत का दौरा कर देश के गांवों में जीने वाले लोगों की समस्याओं को समझने की कोशिश की। साथ ही उन्होंने देश की आजादी की जंग में भी अहम भूमिका निभाई थी।
महात्मा गांधी की बातों से थे प्रभावित
वह महात्मा गांधी की बातों और उनके दर्शन से काफी प्रभावित थे। इस वजह से वकालत के अपने सफल करियर को छोड़कर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। बाबा आमटे ने अपना जीवन इंसानियत की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा के लिए आनंदवन नाम के संगठन की स्थापना की। वह पर्यावरण संरक्षण आंदोलन जैसे नर्मदा बचाव आंदोलन से भी जुड़े हुए थे। बाबा आम्टे को उनके कल्याणकारी कार्यों के लिए कई अवॉर्ड मिले जिनमें रमन मगसायसाय अवॉर्ड भी शामिल था जो उनको 1985 में दिया गया। इसके अलावा उनको पद्मश्री, नाइटेड नेशन्स अवॉर्ड, गांधी पीस अवॉर्ड और मैग्सेसे पुरस्कार भी मिला हुआ था।
अहिंसा के रास्ते पर चलने का रास्ता चुना
देश को आजादी मिलने के बाद बाबा आमटे चाहते तो राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा सकते थे। लेकिन उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए समाजसेवा का रास्ता चुना और ताउम्र उसी पर चलते रहे और दूसरों को भी मानवसेवा का संदेश दिया। बाबा आमटे से प्रभावित होकर हजारों लोगों ने समाजसेवा की राह चुनी। ये लोग बाबा आमटे के वर्द्या स्थित आश्रम में आज भी समाजसेवा में जुटे हुए हैं।
गूगल ने भी किया याद
बीते साल 2018 में सर्च इंजन गूगल ने डूडल के माध्यम से बाबा आमटे को याद किया था। गूगल ने अपने डूडल में बाबा आमटे का एक स्लाइड शो तैयार किया और इसमें पांच फोटो शामिल की थी। इन सभी फोटो में बाबा आमटे की ओर से की गई समाजसेवा, उनके जीवन दर्शन और कुष्ठरोगियों के लिए किए गए कार्यों को दिखाया गया था।