Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पिछले साल तेजाब हमले के मामलों में आई कमी, लेकिन बच्चे से यौन शोषण के मामले खतरनाक

    By Nitin AroraEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jan 2020 09:22 AM (IST)

    गत वर्ष देश के रोजाना 109 बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए। ऐसे में मामलों में पिछले साल के मुकाबले 22 फीसद का उछाल आया है।

    पिछले साल तेजाब हमले के मामलों में आई कमी, लेकिन बच्चे से यौन शोषण के मामले खतरनाक

    नई दिल्ली, प्रेट्र। वर्ष 2018 के दौरान देश भर में तेजाब हमले के मामलों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2017 में जहां तेजाब हमले के 244 मामले दर्ज किए गए, वहीं वर्ष 2018 में इनकी संख्या मामूली गिरावट के साथ 228 रही।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में तेजाब हमले के सबसे ज्यादा 36 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश (32) व तेलंगाना (10) का नंबर है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के 44 मामलों के मुकाबले वर्ष 2018 में कमी आई है।

    उल्लेखनीय है कि तेजाब हमले के लिए न्यूनतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए जुर्माने के साथ सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है। यौन अपराधों पर संशोधित कानून के साथ ऐसे मामलों में सजा के प्रावधान वाला एक अलग कानून भी पारित किया गया है।

    रोजाना 109 बच्चे हुए यौन शोषण के शिकार 

    गत वर्ष देश के रोजाना 109 बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए। ऐसे में मामलों में पिछले साल के मुकाबले 22 फीसद का उछाल आया है। एनसीआरबी के हालिया आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट (पॉक्सो) के तहत 32,608 मामले दर्ज किए गए, जबकि वर्ष 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 39,827 रही। गत वर्ष 21,605 बच्चों के साथ दुष्कर्म हुआ।

    पीड़ितों में 21,401 बालिकाओं केस साथ-साथ 204 बालक भी शामिल रहे। महाराष्ट्र में बच्चों से दुष्कर्म के सबसे ज्यादा 2,832 मामले दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश (2,023) व तमिलनाडु (1,457) क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2008-18 के बीच बच्चों के साथ समग्र अपराध के मामले छह गुना बढ़ गए हैं। वर्ष 2008 में जहां 22,500 मामले दर्ज हुए, वहीं वर्ष 2018 में इनकी संख्या बढ़कर 1,41,764 हो गई। क्राइम राइट एंड यू (सीआरवाई) की निदेशक (पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी) प्रीति मेहरा का मानना है कि एक तरफ ये आंकड़े जहां खतरनाक स्थितियों को दर्शाते हैं, वहीं दूसरी तरफ व्यवस्था के प्रति लोगों में बढ़ते विश्वास का भी संकेत देते हैं।