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    IIT के शोधकर्ताओं ने ब्लैकहोल के एक्स-रे सिग्नल को किया डिकोड, जानिए यह धरती से है कितनी दूर

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 06:00 AM (IST)

    आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने इसरो और इजरायल के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ब्लैक होल से निकलने वाले एक्स-रे सिग्नल को समझा है। एस्ट्रोसेट से मिले डेटा के अनुसार ब्लैक होल जीआरएस 1915+105 से निकलने वाली एक्स-रे चमक तेज और मंद होती है। अध्ययन में पाया गया कि तेज चमक के दौरान कोरोना गर्म होता है जबकि मंद होने पर ठंडा होकर फैल जाता है।

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    ब्लैक होल जीआरएस 1915+105 पृथ्वी से लगभग 28 हजार प्रकाश वर्ष दूर है (फोटो: रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने इसरो के यूआर राव सेटेलाइट सेंटर और इजरायल के हाइफा विश्वविद्यालय के सहयोग से एक ब्लैकहोल से उत्सर्जित रहस्यमय एक्स-रे सिग्नल पैटर्न को डिकोड किया है। ब्लैक होल जीआरएस 1915+105 पृथ्वी से लगभग 28 हजार प्रकाश वर्ष दूर है।

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    किसी गुप्त या जटिल जानकारी को समझने को डिकोड करना कहते हैं। अधिकारियों के अनुसार भारत की अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसेट से प्राप्त डाटा का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने ब्लैक होल से निकलने वाली एक्स-रे को चमकीले और मंद चरणों के बीच बदलते हुए देखा। इस शोध के निष्कर्षों को प्रतिष्ठित पत्रिका 'मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी' में प्रकाशित किया गया है।

    दुनियाभर के शोधकर्ता कर रहे स्टडी

    दुनियाभर के शोधकर्ता 'ब्लैक होल' को समझने का प्रयास कर रहे हैं। जब 'ब्लैक होल' विभिन्न तारों की बाहरी परतों से गैस खींचते हैं, तो वे अत्यधिक ऊष्मा और एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं। इन एक्स-रे का अध्ययन करके विज्ञानी 'ब्लैक होल' के आसपास के वातावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। आईआईटी गुवाहाटी के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर एस. दास ने कहा, हमें तेज एक्स-रे चमक (फ्लिकरिंग) के पहले साक्ष्य मिले हैं।

    शोधकर्ताओं ने देखा कि जिस 'ब्लैक होल' का अध्ययन किया गया, उससे निकलने वाली एक्स-रे चमक दो अलग-अलग चरणों में बदलती रहती है- एक तेज (चमकीला) और एक मंद (धीमा)। जब चमक वाला चरण होता है और झिलमिलाहट सबसे अधिक होती है, उस समय कोरोना (ब्लैक होल के आसपास की गर्म गैसों की परत) बहुत गर्म हो जाता है।

    इसके विपरीत, जब मंद चरण आता है, तब कोरोना फैल जाता है और ठंडा हो जाता है, जिससे झिलमिलाहट गायब हो जाती है। यह स्पष्ट संबंध इस ओर इशारा करता है कि ये तेज सिग्नल संभवत: सघन कोरोना से उत्पन्न हो रहे हैं। जहां हर चरण कई सौ सेकंड तक चला और इसका नियमित रूप से दोहराव हुआ, वहीं तेज झिलमिलाहट वाला सिग्नल केवल (ब्राइट) चरण के दौरान ही दिखा।

    ब्लैक होल के बारे में मिली जानकारी

    यह खोज दिखाती है कि ब्लैक होल के चारों ओर कोरोना कोई स्थायी संरचना नहीं है। इसका आकार और ऊर्जा इस बात पर निर्भर है कि ब्लैक होल में गैस कैसे प्रवाहित हो रही हैं। प्रोफेसर दास ने बताया कि यह शोध ब्लैक होल के किनारे पर मौजूद अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण तीव्रता और उच्च तापमान के बारे में बताता है।

    ये निष्कर्ष इस बात के भी संकेत देता है कि ब्लैक होल संपूर्ण आकाशगंगाओं के विकास को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। इसरो के यूआरएससी के अनुज नंदी ने कहा कि हमारा अध्ययन एक्स-रे झिलमिलाहट की उत्पत्ति के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान करता है। हमने पाया है कि यह झिलमिलाहट ब्लैक होल के आसपास के कोरोना में मॉड्यूलेशन से जुड़ी है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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