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    देश में जल भंडारण क्षमता में आई गिरावट, केंद्र ने राज्यों को तकनीकी सलाहकार समिति बनाने का दिया सुझाव

    पिछले दिनों राज्यों के साथ इस मसले पर हुई बैठक में केंद्र ने एक प्रजेंटेशन के जरिये हालात की गंभीरता सामने रखी। इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को सुझाव दिया कि वे इस मामले की लगातार निगरानी के लिए अपने-अपने यहां प्रधान सचिव (सिंचाई) की अध्यक्षता में एक सलाहकार तकनीकी समिति का गठन करें जो एक निश्चित अंतराल में गाद प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा करे।

    By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 22 Jun 2023 08:31 PM (IST)
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    देश के प्रमुख जल स्त्रोतों की भंडारण क्षमता 15 प्रतिशत तक घट चुकी है।(फोटो जागरण)

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जल आयोग ने गाद प्रबंधन में ढिलाई के कारण नदियों और जलाशयों की भंडारण क्षमता में आ रही गिरावट पर गंभीर चिंता जताते हुए राज्यों को आगाह किया है कि वे इसमें बिना किसी देरी के सुधार करें। देश के प्रमुख जल स्त्रोतों की भंडारण क्षमता में अब तक लगभग 15 प्रतिशत तक नुकसान पहले ही हो चुका है। अगर इस ओर एकीकृत तरीके से ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति हर साल गंभीर होती जाएगी।

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    केंद्र ने राज्यों को दिए निगरानी रखने का सुझाव 

    पिछले दिनों राज्यों के साथ इस मसले पर हुई बैठक में केंद्र ने एक प्रजेंटेशन के जरिये हालात की गंभीरता सामने रखी। इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को सुझाव दिया कि वे इस मामले की लगातार निगरानी के लिए अपने-अपने यहां प्रधान सचिव (सिंचाई) की अध्यक्षता में एक सलाहकार तकनीकी समिति का गठन करें, जो एक निश्चित अंतराल में गाद प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा करे।

    पानी की लाइव स्टोरेज क्षमता में आ रही गिरावट

    जलशक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार नदियों और जलाशयों में गाद निकालने में ढिलाई के कारण पानी की लाइव स्टोरेज क्षमता में हर साल आधा प्रतिशत की कमी आ रही है। मौजूदा समय यह क्षमता 258 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, लेकिन गाद प्रबंधन में कोताही, जल स्त्रोतों के आसपास अतिक्रमण, बढ़ते शहरीकरण जैसी समस्याओं के कारण लगभग 34 बिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता कम हो चुकी है। अगर इसे रोका नहीं गया तो अगले बीस साल में यह मात्रा 50 बीसीएम पहुंच सकती है।

    पानी के अत्यधिक दोहन से बढ़ी परेशानियां

    यह कितनी बड़ी मात्रा है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दस सालों में अप्रैल-मई में जल भंडारण औसतन 55 बीसीएम के आसपास रहा है। अधिकारियों ने गाद प्रबंधन के राष्ट्रीय फ्रेमवर्क पर दिए गए अपने प्रजेंटेशन में अतिक्रमण और शहरीकरण के साथ ही अनियंत्रित खनन, नदी प्रबंधन के अनियोजित कार्यों, निर्माण गतिविधियों और पानी के अत्यधिक दोहन को भी समस्या की गंभीरता के लिए जिम्मेदार बताया है।

    मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि उन्हें जल स्त्रोतों के रखरखाव के लिए सही योजनाएं बनाने पर ध्यान देना चाहिए। सबसे पहले समस्या के बुनियादी कारणों की पहचान करनी होगी और फिर अपने लिए सबसे उपयुक्त समाधान का चयन करना होगा।