Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्‍पेस स्‍टेशन से लौटते हुए जब सुयोज कैप्‍सूल में मारे गए थे रूस के तीन अंतरिक्ष यात्री

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 30 Jun 2020 08:46 AM (IST)

    29-30 जून 1971 को अंतरिक्ष और पृथ्‍वी पर जो कुछ हुआ वो बेहद दर्दनाक था। दुनिया के पहले स्‍पेस स्‍टेशन से लौटते हुए तीन अंतरिक्ष यात्री मौत के आगोश में जा चुके थे।

    स्‍पेस स्‍टेशन से लौटते हुए जब सुयोज कैप्‍सूल में मारे गए थे रूस के तीन अंतरिक्ष यात्री

    नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। अंतरिक्ष के इतिहास में 29 जून का दिन दिन एक दर्दभरी यादगार के तौर पर दर्ज है। इस दिन हल्‍की सी एक चूक की वजह से अंतरिक्ष में तीन एस्‍ट्रॉनाट्स की दर्दभरी मौत हो गई थी। ये तीनों ही रूस के अंतरिक्ष यात्री थे। अंतरिक्ष पर विजय पाने की दौड़ में अमेरिका और रूस दोनों ही आगे पीछे होते रहे हैं। हालांकि इसमें शुरुआती बाजी मारने वाला रूस ही था। लेकिन 20 जुलाई 1969 को जब अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्म्‍सट्रॉन्‍ग ने चांद की जमीन पर कदम रखा तो अंतरिक्ष की इस दौड़ में रूस काफी पीछे छूट गया था। ऐसे में अमेरिका पर बढ़त बनाने के लिए रूस ने अंतरिक्ष में सल्‍यूट-1 स्‍पेस स्‍टेशन तैयार किया था। यहां पर रहकर अंतरिक्ष यात्री कई तरह के प्रयोग करते थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे ही एक मिशन के तौर पर रूस ने 6 जून 1971 को अपने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को सल्‍यूट-1 की तरफ रवाना किया था। इनमें जॉर्ज डेब्रोवोल्‍सकी, व्‍लादिस्‍लाव वोल्‍कोवऔर विक्‍टर पाटसेयव शामिल थे। ये तीनो 7 जून 1971 को स्‍पेस स्‍टेशन पहुंचे और रिकॉर्ड 22 दिनों तक वहां रहे। इस दौरान उन्‍होंने कई प्रयोगों को अंजाम दिया था। उनके इन प्रयोगों से हर कोई उत्‍साहित था। उनके प्रयोग करने के दौरान स्‍पेस स्‍टेशन में उन्‍हें कई तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ा था। फिर भी उन्‍होंने अपने सभी प्रयोग सफलतापूर्वक पूरे किए थे। 29 जून को ये तीनो सुयोज कैप्‍सूल ( Soyuz 7K-OKS) में बैठकर सल्‍यूट-1 से रवाना हुए थे।

    शुरुआती कुछ घंटों में सब कुछ ठीक था, लेकिन इसके बाद सब कुछ बदल गया। उनके कैपसूल में वेंटिलेशन सिस्‍टम और प्रेशर कंट्रोलिंग सिस्‍टम में खराबी हो गई। जिस वक्‍त कैपसूल पृथ्‍वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रहा था उस वक्‍त इसमें बैठे अंतरिक्ष यात्री सांस लेने को तरस रहे थे। कैप्‍सूल का संपर्क सल्‍यूट -1 से टूट चुका था। ये सब कुछ सुयोज के सल्‍यूट-1 से अलग होने के महज 12 मिनट के बाद हो गया था। कैप्‍सूल के अंदर का प्रेशर लगातार कम हो रहा था और ऑक्‍सीजन खत्‍म हो रही थी। इसका परिणाम ये हुआ है कि धरती पर पहुंचने से पहले ही इस तीनों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।

    धरती की तरफ बढ़ते हुए कैप्‍सूल का वाल्‍व निकल गाया था। उस वक्‍त कैप्‍सूल पृथ्‍वी से 168 किमी या साढ़े पांच लाख फीट की की ऊंचाई पर था। वाल्‍व के हट जाने से केबिन का प्रेशर लगातार कम होता चला गया। फ्लाइट रिकॉडेड डाटा के मुताबिक इसके महज 40 सेकेंड के बाद इन्‍हें दिल का जबरदस्‍त दौरान पड़ा था। पाटसेयव का शरीर वाल्‍व के पास मिला था। रिपोर्ट में कहा गया कि बेहोश होने से पहले उन्‍होंने वाल्‍व को बंद करने की कोशिश की होगी। इसके बाद सांस लेने में दिक्‍कत की वजह से उनकी भी मौत हो गई थी।

    30 जून 1971 को जब ये सुयोज कैप्‍सूल धरती पर पहुंचा और क्रू मैंबर्स को रिवकवर करने के लिए अधिकारी वहां पहुंचे तो उन्‍होंने कैप्‍सूल का गेट खोला। अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था। तीनों अंतरिक्ष यात्री निर्जीव अपनी सीट से चिपके हुए थे। उनके कान और नाक से खून निकल रहा था। उनके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी। उन तीनों को कैप्‍सूल से बाहर निकालकर सांस देने की कोशिश की गई, लेकिन सब कुछ व्‍यर्थ रहा। इस घटना ने न सिर्फ रूस को बड़ा झटका दिया था बल्कि इसकी वजह से पूरी दुनिया को ठेस लगी थी। सोवियत रूस की सरकार ने बाद में तीनों को मरणोपरांत हीरो ऑफ द स्‍पेस का खिताब दिया था।

     

    comedy show banner
    comedy show banner