पैगंबर मोहम्मद से है दाऊदी बोहरा समुदाय का नाता, भारत से मिस्र तक फैली है आबादी; क्या है इनका इतिहास
Dawoodi Bohra दाऊदी बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं। हालांकि ये समुदाय शिया मुस्लिम संप्रदाय का हिस्सा है। वह पूर्ण रूप से इस्लामिक कानून को मानते हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय की विरासत फातिमी इमामों से जुड़ी है जिन्हें पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय के शैक्षणिक संस्थान अल जामिया-तुस-सैफियाह अरबी अकादमी के नए परिसर का उद्घाटन किया। ऐसा पहली बार नहीं है, जब पीएम मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय के किसी कार्यक्रम में शिरकत की है। इससे पहले पीएम मोदी दाऊदी बोहरा समुदाय की एक मस्जिद में भी जा चुके हैं। ऐसे में आपको दाऊदी बोहरा समुदाय के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।
कौन हैं दाऊदी बोहरा
- दरअसल, दाऊदी बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं। हालांकि, ये समुदाय शिया मुस्लिम संप्रदाय का हिस्सा है। वह पूर्ण रूप से इस्लामिक कानून को मानते हैं।
- दाऊदी बोहरा समुदाय की विरासत फातिमी इमामों से जुड़ी है, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है।
- यह समुदाय मुख्य रूप से इमामों के प्रति ही अपनी श्रद्धा रखता है।
- दाऊदी बोहरा समुदाय सभी मुसलमानों की तरह दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं।

- इसके अलावा वह रमजान के महीने में रोजा रखते हैं और हज-उमराह करते हैं, साथ ही जकात भी देते हैं।
- दाऊदी बोहरा समुदाय की दुनिया भर में दस लाख से कुछ अधिक जनसंख्या है।
- इनमें अधिकांश जनसंख्या भारत के गुजरात, मुंबई और पाकिस्तान के कराची में हैं।
- इसके अलावा यूरोप, उत्तरी अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में भी बोहरा समुदाय के लोग रहते हैं।
- गुजरात के सूरत में मस्जिद-ए-मोअज्जम दाउदी बोहरा समुदाय की सबसे बड़ी मस्जिद है।
बोहरा समुदाय का क्या है इतिहास
- बोहरा शब्द गुजराती शब्द वोहरू से आया है, जिसका अर्थ है व्यापार।
- बता दें कि दाऊदी बोहरा समुदाय को पैगंबर का वंशज माना जाता है, उनके 21वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल कासिम थे। जिनके बाद बोहरा समुदाय में आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा की शुरुआत हुई थी।
- वह दाई-अल-मुतलक सैयदना कहलाते हैं।
- दाऊदी बोहरा का भारत में प्रवेश 11वीं शताब्दी के बाद हुआ था। वह मिस्र से भारत पहुंचे। इसके बाद इस समुदाय का भारत में तेजी से विस्तार हुआ।

- दाऊदी बोहरा समुदाय का वर्तमान कार्यालय मुंबई के बद्री महल में है।
- इस वंश ने मिस्र में अल-अजहर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे दुनिया की सबसे पुराने जीवित विश्वविद्यालयों में गिना जाता है।
- दाऊदी बोहरा समुदाय में शिक्षा पर काफी जोर रहता है और वह मुस्लिमों में सबसे अमीर भी होते हैं।
दाऊदी बोहरा समुदाय का विवादों से है नाता
दाऊदी बोहरा समुदाय का विवादों से भी नाता रहा है। सैयदना सैफुद्दीन के खिलाफ उनके ही परिवार के सदस्य बॉम्बे हाईकोर्ट चले गए थे। बता दें कि बोहरा समुदाय के 52वें सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन की मौत हो गई थी। जिसके बाद सैफुद्दीन ने खुद 53वां सैयदना घोषित कर दिया था। इसके बाद ये मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहंच गया था। इसके अलावा महिला खतना का मामला भी कोर्ट तक पहुंचा था।

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