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    'बेटियों को नहीं मिलेगा पिता की संपत्ति में हिस्सा...', छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने क्यों सुनाया ऐसा फैसला?

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 08:22 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने कहा कि यदि पिता का निधन 1956 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से पहले हुआ हो, तो बेटी का संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। ऐसे मामलों में उत्तराधिकार मिताक्षरा कानून के अनुसार तय होगा, जो केवल बेटों को उत्तराधिकारी मानता था। यह फैसला रागमनिया की याचिका पर आया, जिसने पिता की संपत्ति में हिस्सा माँगा था।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पिता की संपत्ति में बेटियों की हिस्सेदारी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि किन परिस्थितियों में पिता की संपत्ति में बेटियों को हिस्सेदारी मिलेगी और किन में नहीं। अदालत ने फैसले में कहा है कि अगर पिता का निधन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के लागू होने से पहले हो गया हो, तो बेटी का उनकी संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होगा।

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    अदालत ने कहा कि कि ऐसे मामलों में उत्तराधिकार को मिताक्षरा कानून के तहत तय किया जाएगा, जो 1956 के कानून से पहले लागू था। इसमें केवल बेटों को ही पिता की संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी माना गया था।

    महिला ने मांगा था पिता की संपत्ति में हिस्सा

    दरअसल हाईकोर्ट रागमनिया नामक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। रागमनिया ने अपने पिता सुधीन की संपत्ति में हिस्सा मांगा था। अदालत ने कहा कि सुधीन की मृत्यु 1950-51 के आसपास हुई थी, जो 1956 के कानून के लागू होने से कई साल पहले की बात है। इसलिए संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से पहले के नियमों के अनुसार होगा।

    हाईकोर्ट ने कहा, 'अगर किसी हिंदू की मृत्यु 1956 से पहले हो जाती है, तो मिताक्षरा कानून के तहत उसकी संपत्ति पूरी तरह से उसके बेटे को मिल जाती है। एक लड़की ऐसी संपत्ति में केवल तभी अधिकार का दावा कर सकती है जब कोई लड़का न हो।'

    हाईकोर्ट के इस आदेश ने यह स्पष्ट किया है कि यदि पिता की मृत्यु 1956 का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होने से पहले हुई हो, तो बेटियां उसकी संपत्ति में हिस्से का दावा नहीं कर सकती हैं। ऐसे मामलों में 1956 से पहले के मिताक्षरा हिंदू कानून को ही वैलिड माना जाएगा, जो पुरुष उत्तराधिकारियों को उत्तराधिकार में वरीयता देता है।