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    यूनिसेफ के साथ मिलकर दैनिक जागरण ने रूटीन वैक्सीनेशन पर साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर की कार्यशाला

    यूनिसेफ बच्चों के लिए रुटीन वैक्सीनेशन पर केंद्रित साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देशभर के दैनिक जागरण के 60 से अधिक मीडिया पेशेवरों ने भाग लिया। बता दें कि इस कार्यक्रम में दैनिक जागरण भी यूनिसेफ का साझेदार है। जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय ने पत्रकारिता के वर्तमान युग में आलोचनात्मक सोच के महत्व पर जोर दिया।

    By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 27 Dec 2023 11:31 PM (IST)
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    जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूनिसेफ बच्चों के लिए रुटीन वैक्सीनेशन पर केंद्रित साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में देशभर के दैनिक जागरण के 60 से अधिक मीडिया पेशेवरों ने भाग लिया। बता दें कि इस कार्यक्रम में दैनिक जागरण भी यूनिसेफ का साझेदार है।

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    दैनिक जागरण, जागरण न्यू मीडिया और विश्वास न्यूज के पत्रकारों ने यूनिसेफ के क्रिटिकल अप्रेजल स्किल्स (CAS) कार्यक्रम के जरिए स्वास्थ्य पत्रकारिता में साक्ष्य-आधारित रिपोर्टिंग और फैक्ट चेक के महत्व पर चर्चा की। साथ ही संपादकीय, जमीनी स्तर की कहानियां, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और नियमित टीकाकरण पर प्रभावशाली लोगों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

    यूनिसेफ भारत की संचार एडवोकेसी एवं भागीदारी प्रमुख जाफरीन चौधरी ने मीडिया की क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने कहा,

    भ्रामक सूचनाएं अक्सर वैक्सीन के प्रति झिझक पैदा करती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकती है। मीडिया माता-पिता और देखभाल करने वालों को सही जानकारी और साक्ष्य के साथ वैज्ञानिक तथ्यों को स्पष्ट करने में अहम भूमिका निभाता है। क्रिटिकल अप्रेजल स्किल (CAS) कार्यक्रम मीडिया को भ्रामक सूचनाओं का सामना करने और शून्य खुराक वाले बच्चों तक पहुंचने में सहयोगी और सक्षमकर्ता के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाता है।

    जागरण न्यू मीडिया के प्रधान संपादक राजेश उपाध्याय ने पत्रकारिता के वर्तमान युग में आलोचनात्मक सोच के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा,

    जागरण न्यू मीडिया और यूनिसेफ की कार्यशाला में बताए गए टूल्स बेहद मूल्यवान हैं। इन टूल्स की मदद से पत्रकार यूजर्स के सामने व्यावहारिक और वास्तविक स्थिति को और बेहतर तरीके से पेश कर सकता है।

    यूनिसेफ इंडिया की स्वास्थ्य अधिकारी डॉ यशिका नेगी ने महामारी के बाद की अवधि में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या को कम करने की दिशा में भारत के प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत इंद्रधनुष 3 और 4 जैसे मजबूत सरकारी प्रयासों के कारण कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीनेशन से वंचित बच्चों की संख्या में गिरावट को रोकने में सक्षम रहा। उन्होंने कहा कि शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या 2021 में 27 लाख से आधी होकर 2022 में 11 लाख हो गई। इस सकारात्मक प्रयास में मीडिया एक अहम भागीदार के तौर पर खड़ा है।

    इस कार्यशाला में दैनिक जागरण वरिष्ठ संपादक अनुराग मिश्रा, स्कंद विवेक और उर्वशी कपूर सहित अन्य लोग मौजूद रहे जिन्होंने रुटीन वैक्सीनेशन, एंटीबायोटिक्स और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल जैसे बच्चों को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों में साक्ष्य-आधारित पत्रकारिता के महत्व पर मंथन करेंगे।