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चक्रवात 'जवाद' की आहट से चिंता, ओडिशा में हाई अलर्ट, पीएम मोदी ने ली बैठक, जानें किन राज्‍यों पर पड़ेगी इसकी मार

दक्षिणी अंडमान और बंगाल की खाड़ी में बन रहे चक्रवात जवाद ने कई राज्यों की चिंता बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को चक्रवात की तबाही से निपटने के लिए किए जा रहे इंतजामों की समीक्षा की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 08:30 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 07:10 AM (IST)
चक्रवात 'जवाद' की आहट से चिंता, ओडिशा में हाई अलर्ट, पीएम मोदी ने ली बैठक, जानें किन राज्‍यों पर पड़ेगी इसकी मार
दक्षिणी अंडमान और बंगाल की खाड़ी में बन रहे चक्रवात 'जवाद' ने कई राज्यों की चिंता बढ़ा दी है।

नई दिल्‍ली/भुवनेश्‍वर, जेएनएन। दक्षिणी अंडमान और बंगाल की खाड़ी में बन रहे चक्रवात 'जवाद' ने कई राज्यों की चिंता बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को चक्रवात की तबाही से निपटने के लिए किए जा रहे इंतजामों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य की एजेंसियों को बचाव कार्य से संबंधित कई निर्देश दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें इस बात की हर संभव कोशिश करनी है कि चक्रवात से जान-माल की क्षति न हो। राहत कार्य के इंतजाम भी पहले से कर लिए जाएं।

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कैबिनेट सचिव ने भी बैठक ली

बुधवार को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भी बैठक कर प्रभावित क्षेत्र से सभी लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने तथा मछुआरों और नौकाओं को समुद्री क्षेत्र से हटाने के निर्देश दिए थे। बैठक में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बंगाल और अंडमान निकोबार के मुख्य सचिव तथा वरिष्ठ अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शामिल हुए। इससे पहले भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने 'जवाद' की आशंका को देखते हुए पूरे देश में अलर्ट जारी किया है।

चार दिसंबर तक टकराएगा

मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में बन रहा कम दबाव का क्षेत्र शुक्रवार को चक्रवात में तब्दील हो सकता है। चार दिसंबर तक इसके ओडिशा और आंध्र के तटों से टकराने की आशंका है। बता दें, इस बार चक्रवात का जवाद नाम सऊदी अरब ने दिया है। जवाद का अरबी में अर्थ उदार या दयालु होता है।

कल ओडिशा व आंध्र के तट से टकराएगा तूफान

प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में भाग लेने के बाद आइएमडी के डीजी मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अंडमान सागर में बना कम दबाव का क्षेत्र गुरुवार सुबह वेल मार्क लो प्रेसर में तब्दील हो गया है। अगले 12 घंटे मे यह डिप्रेशन (दबाव क्षेत्र) का रूप लेगा। यह उत्तर-पश्चिम दिशा में तेज गति से चार दिसंबर को उत्तर-आंध्र और दक्षिण-ओडिशा के पास समुद्र में सक्रिय होगा। इसके बाद यह अपनी दिशा बदलेगा। आंध्र, ओडिशा और बंगाल इस चक्रवात से ज्यादा प्रभावित होंगे।

आज से ही बढ़ जाएगी हवा की गति

तीन दिसंबर (शुक्रवार) को ही मध्यरात्रि के बाद हवा की गति बढ़ने की उम्मीद है। शुरुआत में हवा की रफ्तार 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की आशंका है। इसके बाद चार दिसंबर दोपहर बाद हवा की रफ्तार 70 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। शुक्रवार से ही प्रभावित क्षेत्रों में बारिश के आसार हैं।

95 मेल एवं एक्सप्रेस ट्रेनें रद

चक्रवात के कारण एहतियात के तौर पर पूर्व तट रेलवे ने तीन और चार दिसंबर को चलनेवाली 95 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को रद कर दिया है। रेलवे ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

सेना और एनडीआरएफ की तैनाती

तूफान से निपटने को लेकर सरकारी स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय आपदा प्रबंधन कमेटी ने संभावित चक्रवात की समीक्षा करने के साथ ही राहत और बचाव कार्य के लिए भारतीय नौसेना और थल सेना को अलर्ट पर रहने को कहा है। इसके अलावा 32 राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमों को भी तैनात करने के साथ अतिरिक्त टीम को भी सतर्क रहने को कहा गया है।

ओडिशा के 13 जिलों में विशेष सतर्कता

ओडिशा में तूफान से प्रभावित होने वाले जिलों में गंजाम, गजपति, पुरी, नयागड़, खुर्दा, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, जाजपुर, ढेंकानाल, कटक, भद्रक, बालेश्वर और मयूरभंज शामिल हैं। वहीं ओडिशा के तटीय जिलों के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम और विजयनगरम जिले के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है।

ऐसे पड़ा जवाद नाम

जवाद अरबी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ उदार या दयालु होना है। यह नाम सऊदी अरब के सुझाव पर रखा गया है। इसके पीछे यह भी तर्क दिया गया है कि यह तूफान ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएगा। तूफानों के नाम दुनिया के विभिन्न देशों के बीच हुए समझौते के आधार पर रखे जाते हैं। 1953 में इस संबंध में हुई संधि में भारत समेत दुनिया के 13 देश शामिल हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में 2004 से यह परंपरा शुरू हुई। एक के बाद दूसरे तूफान का नाम रखने के लिए वर्णमाला के हिसाब से देशों का क्रम बना हुआ है। नामकरण से मौसम विज्ञानियों, विशेषज्ञों, आपदा प्रबंधक टीमों और आम लोगों को चक्रवातों को पहचानने व समझने में मदद मिलती है।


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