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    अब नहीं आएगा बेहिसाब मेडिकल बिल! सरकार ने किया खास इंतजाम, बीमा कंपनियों की मनमानी पर भी कसी जाएगी नकेल

    भारत में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी होती जा रही हैं जिस पर सरकार लगाम लगाने की तैयारी में है। सरकार मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम पोर्टल्स को वित्त मंत्रालय के अधीन लाने की योजना बना रही है जिससे हेल्थ इंश्योरेंस और पॉलिसी होल्डर मरीजों के बेहिसाब मेडिकल बिलों पर नियंत्रण किया जा सके। भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDAI) स्वास्थ्य प्रदाताओं की निगरानी करेगा ताकि मरीजों पर अनावश्यक बोझ न पड़े।

    By Digital Desk Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 10 Jul 2025 10:24 PM (IST)
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    सरकार मौजूदा मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम पोर्टल्स को वित्त मंत्रालय के अधीन लाने की योजना बना रही है।(फोटो सोर्स: जागरण ग्राफिक्स)

    रॉयटर, नई दिल्ली। भारत सरकार स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा अधिक शुल्क वसूलने पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा स्वास्थ्य बीमा दावा पोर्टल को वित्त मंत्रालय और बीमा नियामक के अधीन लाने की योजना बना रही है। पेशेवर सेवा फर्म एआन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य सेवा की लागत 2025 में 13 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। यह वैश्विक औसत 10 प्रतिशत से अधिक है और एक साल पहले दर्ज 12 प्रतिशत से भी अधिक है।

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    सूत्रों ने बताया कि सरकार और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा किए गए विश्लेषण में पाया गया है कि अस्पताल मरीजों के इलाज का खर्च बढ़ा रहे हैं और ज्यादा पैसे का बीमा कराने वाले मरीजों से अधिक शुल्क वसूल रहे हैं। इसकी वजह से बीमा कंपनियां ज्यादा प्रीमियम वसूल रही हैं। इससे कुछ लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा कराना आसान नहीं रह गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज बीमाकर्ताओं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और मरीजों के बीच गेटवे के रूप में कार्य करता है।

    बीमा कंपनियों की शक्ति में होगा सुधार

    इसकी सख्त निगरानी से उपचार दरें निर्धारित करने के लिए बीमा कंपनियों की शक्ति में सुधार होगा। वर्तमान में एक्सचेंज की देखरेख स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा की जाती है। प्राधिकरण की वेबसाइट के अनुसार, इसे बीमा नियामक के साथ परामर्श करके विकसित किया गया है।

    इरडा स्वास्थ्य एक्सचेंज का विनियमन नहीं करता है, बल्कि इस प्लेटफार्म पर बीमा कंपनियों का विनियमन करता है। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम आय में वार्षिक वृद्धि दर 2024-25 में घटकर नौ प्रतिशत रह गई है, जो एक वर्ष पहले 20 प्रतिशत थी। प्रीमियम कई लोगों के लिए वहन करने योग्य नहीं रह गया है, जिसके कारण पालिसी का नवीनीकरण कम हो रहा है।