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    मध्य प्रदेश में खेती का रकबा घटा लेकिन बढ़ रही रासायनिक खाद की खपत, कृषि विज्ञानियों ने इस बात पर जताई चिंता

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:20 AM (IST)

    मध्य प्रदेश में खेती का रकबा हर साल घटने के बावजूद रासायनिक खाद की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। जैविक खेती के मामले में देश में पहले स्थान पर होने के बाद भी किसानों की रासायनिक खाद पर बढ़ती निर्भरता चिंताजनक है। कृषि विज्ञानियों का कहना है कि जिस तरह से अधिक उत्पादन के लिए मृदा की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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    मध्य प्रदेश में खेती का रकबा घटा लेकिन बढ़ रही रासायनिक खाद की खपत (सांकेतिक तस्वीर)

     जेएनएन, भोपाल। मध्य प्रदेश में खेती का रकबा हर साल घटने के बावजूद रासायनिक खाद की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। जैविक खेती के मामले में देश में पहले स्थान पर होने के बाद भी किसानों की रासायनिक खाद पर बढ़ती निर्भरता चिंताजनक है।

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    मृदा की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा

    कृषि विज्ञानियों का कहना है कि जिस तरह से अधिक उत्पादन के लिए मृदा की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा है, वह खतरनाक है। वर्ष 2022-23 में 149.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलें बोई गई थीं, जो 2025-26 में 146 लाख हेक्टेयर रह गईं। इससे विपरीत इस अवधि में खाद का उपयोग 29 लाख टन से बढ़कर 33.29 लाख टन (सितंबर प्रथम सप्ताह) पहुंच चुका है।

    जैविक फसल उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत

    देश में जैविक खेती के मामले में मध्य प्रदेश सबसे आगे है। कुल जैविक उत्पादन में 40 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश से आता है। देश में 65 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती होती है जिसमें 16 लाख हेक्टेयर मध्य प्रदेश का है फिर भी विरोधाभास यह है कि किसानों की रासायनिक खाद पर निर्भरता बढ़ रही है।

    रासायनिक खाद-कीटनाशकों के नुकसान को देखते हुए वर्ष 2011 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने जैविक खेती को प्रोत्साहित करने विशेष नीति बनाई थी।

    दूरगामी परिणाम ठीक नहीं

    उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान अधिक खाद का उपयोग करता है। तात्कालिक रूप से भले ही इससे लाभ मिलता है लेकिन दूरगामी परिणाम ठीक नहीं होते। मृदा की उर्वरा शक्ति प्रभावित होने के साथ भूजल पर भी असर पड़ता है। जो उपज होती है, उसकी गुणवत्ता भी ठीक नहीं होती। - डॉ. जीएस कौशल, पूर्व कृषि संचालक, मध्य प्रदेश

    शरीर का हर अंग होता है प्रभावित

    रासायनिक खाद के माध्यम से एक सीमा से अधिक रसायन मानव शरीर में पहुंचने पर दुष्प्रभाव पेट पर पड़ता है। पेट संबंधी बीमारियों के बाद अन्य अंगों पर भी प्रभाव होने लगता है। पोषक तत्व घटने से शरीर में विटामिन व मिनरल्स की कमी होती है। किडनी पर असर के साथ कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।- डॉ. आरआर वर्डे, सह प्राध्यापक, मेडिसिन

    क्या कहते हैं आंकड़े

    वर्ष खरीफ फसलों का बुआई क्षेत्र खाद की खपत

    2022-23--149.53 लाख हेक्टेयर- 29 लाख टन

    2023-24--146.40 लाख हेक्टेयर- 33 लाख टन

    2024-25-- 145 लाख हेक्टेयर- 34 लाख टन

    2025-26-- 146 लाख हेक्टेयर- 33.29 लाख टन

    (स्त्रोत: मध्य प्रदेश कृषि विभाग)