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    सस्ते तेल से मिलने वाले लाभ पर झटका, अंतरराष्ट्रीय बाजारों की कीमत में कमी; भारत पर कितना असर?

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 08:30 PM (IST)

    अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत को होने वाले लाभ में कमी आई है। भारत अपनी तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, ...और पढ़ें

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    कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट। (फाइल)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हालिया कमी से भारत जैसे तेल आयातक देश को राहत की उम्मीद थी, लेकिन घरेलू मुद्रा रुपये की लगातार गिरावट ने इन संभावनाओं पर पानी फेर दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अभी 60 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में हैं। पिछले एक पखवाड़े में भारतीय तेल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से 64.05 डॉलर प्रति बैरल की औसत दर से क्रूड की खरीद की है जो चालू वित्त वर्ष की सबसे सस्ती दर है।

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    सितंबर, 2025 के बाद से हर महीने भारतीय तेल कंपनियों की क्रय मूल्य लगातार घट रही है। ऐसे में उम्मीद थी कि आम जनता को भी सरकार क्रूड बाजार के इस माहौल का फायदा देगी लेकिन तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि रुपये में तेजी से गिरावट होने से वह फिलहाल स्थिरता का इंतजार करेंगी।

    मोटे तौर पर तेल कंपनियों का हिसाब यह है कि अगर डॉलर के मुकाबले एक रुपये की भी मामूली गिरावट होती है तो पेट्रोल की आयात लागत में 50 पैसे और डीजल की में 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो जाती है। अप्रैल, 2025 के महीने में जब भारतीय तेल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से क्रूड की खरीद 67.72 डॉलर प्रति बैरल की दर से खरीद की थी।

    तब (03 अप्रैल, 2025) को एक डॉलर की कीमत 85.27 रुपये थी। अभी यह 90 रुपये के स्तर पर है यानी तकरीबन रुपए तब से 4.80 रुपए नीचे आ चुका है। इस हिसाब से पेट्रोल और डीजल की आयात लागत में दो रुपये से ढ़ाई रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है।

    तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि पिछले आठ महीनों में क्रूड की सस्ती दर से जो बचत हुई है उस पर रुपये की गिरती कीमत ने काफी हद तक पानी फेर दिया है। वैसे बुधवार को क्रूड के अंतरराष्ट्रीय बाजार को देखें तो वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ऑयल की कीमत 59.26 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड की कीमत 62.73 डॉलर प्रति बैरल (0.54 फीसद ज्यादा) पर बंद हुई है। लेकिन पिछले एक माह में क्रूड ऑयल की कीमतें औसतन 2.14 प्रतिशत घटी हैं।

    भारतीय आयात बिल का बड़ा हिस्सा कच्चे तेल पर निर्भर है, जो कुल आयात का लगभग 30 प्रतिशत है। रुपये की गिरावट से तेल कंपनियों को डॉलर में भुगतान करने में अतिरिक्त बोझ पड़ता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का फायदा तभी मिलेगा जब रुपये में स्थिरता आए। भारतीय ग्राहकों को अंतिम बार पेट्रोल व डीजल कीमतों में राहत 14 मार्च, 2024 को मिली थी। तब उक्त उत्पादों की खुदरी कीमतों दो रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी।