नक्सलियों से डरकर भागे 17 सीआरपीएफ जवान निलंबित
सीआरपीएफ ने कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए अपने 17 जवानों को निलंबित कर दिया है। ये जवान इस साल के शुरू में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में अपने शहीद साथियों को छोड़कर भाग खड़े हुए थे। इस मुठभेड़ में नागरिकों समेत कुल 16 लोगों की मौत हुई थी। निलंबित जवानों में से 13
नई दिल्ली। सीआरपीएफ ने कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए अपने 17 जवानों को निलंबित कर दिया है। ये जवान इस साल के शुरू में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में अपने शहीद साथियों को छोड़कर भाग खड़े हुए थे। इस मुठभेड़ में नागरिकों समेत कुल 16 लोगों की मौत हुई थी। निलंबित जवानों में से 13 कांस्टेबल रैंक के जबकि चार अन्य इंस्पेक्टर व सहायक सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधीनस्थ अधिकारी हैं।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में इस साल 11 मार्च को हुई इस खूनी मुठभेड़ के तुरंत बाद कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी नियुक्त कर दी गई थी। जांच में पता चला कि नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए इस हमले में सीआरपीएफ जवानों की टुकड़ी फंस गई थी। ऐसी विषम परिस्थिति में ये जवान अपने साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोहा लेने के बजाय वहां से जान बचाकर भाग खड़े हुए।
सीआरपीएफ निदेशक जनरल दिलीप त्रिवेदी ने बताया कि शुरुआती जांच में दोषी मिले इन जवानों को छत्तीसगढ़ के आइजी ने निलंबित कर दिया है। पूरी जांच तीन महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी। एक दशक से ज्यादा समय से नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों से मोर्चा संभाल रही सीआरपीएफ की ओर से अपने जवानों के खिलाफ यह दुर्लभ अनुशासनात्मक कार्रवाई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपने कर्तव्य की उपेक्षा और सैनिक जैसा आचरण न करने के दोषी पाए गए इन 17 जवानों को निलंबित कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जवानों के खिलाफ जांच की कमान कमांडेंट स्तर के एक अधिकारी के हाथ में थी, जिसकी संस्तुति नक्सल विरोधी अभियानों के प्रभारी डीआइजी रैंक के अफसर को भेज दी गई है।
अधिकारियों ने कहा कि जांच में पता चला कि अगर इन जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया होता तो कई जानें बचाई जा सकती थीं और करीब 200 नक्सलियों में से कई ढेर भी किए जा सकते थे। करीब तीन घंटे तक चली इस मुठभेड़ में नक्सली शहीद जवानों से बड़ी संख्या में हथियार लूट ले गए थे।