Criminal Defamation Case: तेजस्वी यादव को समन भेजने में कोर्ट-शिकायतकर्ता के बीच गलतफहमी, फिर जारी हुआ नोटिस
अहमदाबाद की एक मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को आपराधिक मानहानि मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को दूसरी बार समन जारी किया। कोर्ट ने यह समन दूसरी बार भेजा है। दरअसल कोर्ट को बाद में पता चला कि कुछ भ्रम के कारण तेजस्वी यादव को पहला समन नहीं दिया जा सका। नए समन के मुताबिक उपमुख्यमंत्री तेजस्वी को 13 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होना होगा।

अहमदाबाद, एजेंसी। अहमदाबाद की एक मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को आपराधिक मानहानि मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को दूसरी बार समन जारी किया। कोर्ट ने यह समन दूसरी बार भेजा है। दरअसल, कोर्ट को बाद में पता चला कि कुछ भ्रम के कारण तेजस्वी यादव को पहला समन नहीं दिया जा सका।
इस नए समन के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी को 13 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होना होगा। वहीं, पहली बार के समन (28 अगस्त) में अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डी जे परमार ने तेजस्वी यादव को आपराधिक मानहानि मामले में समन जारी किया था। बता दें कि यह समन तेजस्वी को को उनके बयान "केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं" पर जारी किया गया है।
22 सितंबर को पेश होने के लिए समन जारी किया था
कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दर्ज केस में 22 सितंबर को पेश होने के लिए समन जारी किया था। शुक्रवार को जब कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की तो पता चला कि समन अभी भी कोर्ट में पड़ा हुआ है और इसे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव तक पहुंचाया ही नहीं गया।
असमंजस की स्थिती पैदा हुई
जबकि शिकायतकर्ता हरेश मेहता को लगा कि कोर्ट, पुलिस या अपनी मशीनरी के जरिए तेजस्वी को समन सौंप दिया जाएगा। वहीं, कोर्ट को लगा कि हरेश मेहता के वकील ने इसे कोर्ट के क्लर्क को दे दिया है और उसने उपमुख्यमंत्री को भेज दिया है।
समन तामील कराना शिकायतकर्ता का काम है- कोर्ट
भ्रम को दूर करने के लिए मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डी जे परमार ने शुक्रवार को कहा कि समन तामील कराना हरेश मेहता का काम है क्योंकि वह शिकायतकर्ता हैं। इसके बाद परमार ने दूसरा समन जारी किया और मेहता को इसे तेजस्वी यादव तक पहुंचाने के लिए जरूरी व्यवस्था करने को कहा।
कोर्ट ने अगस्त में सीआरपीसी की धारा 202 के तहत तेजस्वी यादव के खिलाफ जांच की थी और अहमदाबाद स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत के आधार पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था।
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