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    CJI पर जूता फेंकने वाले पर शुरू होगी आपराधिक अवमानना की कार्यवाही, अटॉर्नी जनरल ने दी सहमति 

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सीजेआई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने घटना की निंदा की थी। कोर्ट ने तत्काल सुनवाई पर अनिच्छा जताई, पर दिवाली के बाद मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति दी। कोर्ट ने कहा कि सीजेआई ने स्वयं इसे माफ कर दिया है।

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    आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति दे दी है।

    गुरुवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने सीजेआई के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए यह जानकारी दी और आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

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    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने की थी निंदा

    मालूम हो कि गत छह अक्टूबर को वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस कोर्ट में सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ में जूता फेंका था। हालांकि चीफ जस्टिस ने घटना से प्रभावित हुए बगैर इसे नजरअंदाज कर दिया था और शांत भाव से कोर्ट की सुनवाई जारी रखी थी। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस घटना की कड़ी निंदा की थी और राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सहमति मांगी थी।

    मालूम हो कि किसी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति जरूरी होती है। हालांकि कोर्ट ने अवमानना मामले को तत्काल सुनवाई पर लगाने का इच्छुक नहीं दिखा। पीठ ने कहा कि देखते हैं कि अगले सप्ताह तक कुछ इसमें बचता है कि नहीं। पीठ ने ये भी सवाल किया कि क्या इस मुद्दे को आगे बढ़ाना ठीक होगा, जबकि चीफ जस्टिस ने स्वयं इसे माफ कर दिया है।

    जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सीजेआई बहुत उदार हैं और ये दर्शाता है कि संस्था इस तरह की घटनाओं से प्रभावित नहीं होती है। सिंह ने कहा लेकिन जिस तरह से यह घटना सोशल मीडिया पर प्रचारित हो रही है उससे संस्था का नुकसान हो रहा है। जस्टिस बाग्ची ने कहा लेकिन इस घटना को फिर से उठाने से प्रचार चाहने वालों को और अवसर नहीं मिलेगा? हालांकि बाद में कोर्ट ने दिवाली की छुट्टियों के बाद कोर्ट खुलने पर मामले को सूचीबद्ध करने के लिए सहमति दी।