गैराज से शुरू हुआ अमूल का सपना
आजाद भारत को श्वेत क्रांति की राह दिखाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन ने मध्य गुजरात के आणद में आकर एक छोटे से गैराज से अमूल की शुरुआत कर सहकारी साम्राज्य की स्थापना की। अपने साथी त्रिभुवन भाई पटेल के इसी गैराज में उन्होंने अपने जीवन के कई साल गुजारे थे।
अहमदाबाद, [शत्रुघ्न शर्मा]। आजाद भारत को श्वेत क्रांति की राह दिखाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन ने मध्य गुजरात के आणद में आकर एक छोटे से गैराज से अमूल की शुरुआत कर सहकारी साम्राज्य की स्थापना की। अपने साथी त्रिभुवन भाई पटेल के इसी गैराज में उन्होंने अपने जीवन के कई साल गुजारे थे।
डॉ. कुरियन 13 मई 1949 को आणद आ गए थे। ईसाई समुदाय से होने और मासाहारी होने के चलते उन्हें यहां किसी ने अपना घर किराए पर नहीं दिया। लिहाजा, उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के गैराज में रहना शुरू कर दिया। उस समय डेयरी उद्योग पर निजी लोगों का कब्जा था।
कुरियन के मन में किसानों की दशा बदलने के साथ ही देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का सपना था। कुरियन ने आणद डेयरी की नौकरी छोड़ त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति शुरू की। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की अध्यक्ष अमृता पटेल बताती हैं कि आज अमूल से देश के डेढ़ लाख गांव के डेढ़ करोड़ महिला-पुरुष जुड़े हैं। डॉ. कुरियन के निधन की खबर के साथ ही आणद में शोक की लहर दौड़ गई। रविवार शाम को उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार प्रार्थना मंदिर विद्युत शव दाहगृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए। गुजरात सरकार में नेता विपक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि उनकी श्रम साधना के कारण दुनिया में देश का नाम रोशन हुआ। केंद्रीय मंत्री दिनशा पटेल, भारत सिंह सोलंकी और गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के अध्यक्ष विपुल चौधरी ने भी डॉ. कुरियन को श्रद्धांजलि दी।
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