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    नकली दवाओं पर नकेल कसने की तैयारी, मोदी सरकार लाने जा रही सख्त कानून

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    केंद्र सरकार नकली दवाओं पर नकेल कसने के लिए सख्त कानून लाने की तैयारी में है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेस एंड कास्मेटिक एक्ट 2025' का मसौदा तैयार किया है। इस कानून के तहत दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सीडीएससीओ को अधिक शक्तियां मिलेंगी। दवा कंपनियों को अपनी पूरी जानकारी डिजिटल रूप में देनी होगी। यह कानून 1949 के ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट की जगह लेगा।

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    नकली दवाओं पर सरकार की सख्ती

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मापदंड और नियम कायदों को ताक पर रखते हुए जिस तरह दवाइयां बनाई जा रही हैं उस पर अब लगाम की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कड़े कानून बनाने की तैयारी में जुट गया है। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में ''ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेस एंड कास्मेटिक एक्ट 2025'' के मसौदे पर चर्चा हुई।

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    माना जा रहा है कि जल्द ही इस मसौदे की मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा और वहां से हरी झंडी मिलने पर आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जेपी नड्डा के साथ बैठक में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया की ओर से नए प्रस्तावित कानून का विस्तृत मसौदा पेश किया गया।

    नकली दवाओं पर सरकार की सख्ती

    नया कानून 1949 के ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट की जगह लेगा। नए प्रस्तावित कानून में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चत करने के लिए सीडीएससीओ को अधिक शक्तियों का प्रविधान किया गया है। इसके तहत डीजीएससीओ दवाओं की गुणवत्ता की जांच और जहरीली या कम गुणवत्ता वाली दवाओं की स्थिति में कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही प्रस्तावित कानून में दवाओं, मेडिकल उपकरण या सौंदर्य प्रसाधन निर्माता इकाइयों की पूरी जानकारी डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।

    नया कानून, अधिक शक्तियां सीडीएससीओ को

    इसके साथ ही दवाओं, मेडिकल उपरकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण के लिए लाइसेंस देने व निरस्त करने की प्रक्रिया में सीडीएससीओ को अधिक अधिकार दिया जाएगा। अभी यह अधिकार राज्यों के खाद्य व औषधि विभाग के पास है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नए कानून की जरूरत बताते हुए कहा कि श्रीसन फार्मा के जहरीले कफ सीरप कोल़्ड्रिफ के मामले में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में देश में बड़ी खाई उजागर कर दी थी। सीडीएससीओ को को श्रीसन फार्मा और उसेक उत्पाद कोल्डि्रफ के बार में कोई जानकारी ही नहीं थी।

    दवा कंपनियों की डिजिटल जानकारी अनिवार्य

    सीडीएससीओ के पोर्टल सुगम पर सभी दवा निर्माता कंपनियों और उसके उत्पादों की जानकारी देने के नियम के बावजूद इसकी जानकारी नहीं दी गई। यही नहीं, मध्यप्रदेश के अनुरोध पर कोल्डि्रफ की जांच करने और उसमें जहरीला रसायन पाये जाने के बाद भी तमिलनाडु ने इसकी जानकारी सीडीएससीओ को नहीं दी थी। हद तो तब हो गई, जब सीडीएससीओ के श्रीसन फार्मा का लाइसेंस निरस्त करने का निर्देश का पालन भी 12 दिनों के बाद किया गया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नया कानून इन सभी खामियों को दूर करने का काम करेगा