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नैनीताल के अस्तित्व पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, झील के गेट पर दरार बनी चिंता का सबब

नैनीताल में पुनर्निमाण कर बनाए गए नैनी झील के डांठ (डिस्चार्ज गेट) पर दरार आ गई है। लगातार वाहनों का दबाव और पार्किंग को इसकी वजह माना जा रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 08:08 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 07:51 PM (IST)
नैनीताल के अस्तित्व पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, झील के गेट पर दरार बनी चिंता का सबब
नैनीताल के अस्तित्व पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, झील के गेट पर दरार बनी चिंता का सबब

नैनीताल, जेएनएन। ब्रिटिशकाल में निर्मित और 80 के दशक में पुनर्निमाण कर बनाए गए नैनी झील के डांठ (डिस्चार्ज गेट) पर दरार आ गई है। झील के मुख्य निकासी द्वार के सामने और पुराने रेलवे टिकट बुकिंग काउंटर के पास दरार व करीब तीन मीटर हिस्से का धंसाव नए खतरे के रूप में सामने आ रहा है। लगातार वाहनों का दबाव और पार्किंग को इसकी वजह माना जा रहा है।

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ये वाहन यहां पर होते हैं पार्क 

ब्रिटिशकालीन डांठ झील के सामने से 20 पिलरों पर टिका है। 80 मीटर लंबा और करीब 60 मीटर चौड़ाई के डांठ पर ही पुराना रोडवेज स्टेशन है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद यहां हल्द्वानी जाने वाली रोडवेज की बसें पार्क होती हैं, जबकि डांठ में ही एक हिस्से में दोपहिया तो दूसरे हिस्से में चौपहिया वाहन पार्क किए जाते हैं।

1980 में किया गया था पुनर्निर्माण 

1980 में लोक निर्माण विभाग ने इसका पुनर्निर्माण किया था। तब मार्च में शुरू हुए काम को पांच महीने में पूरा किया जा सका था। एक लाख 60 हजार की लागत से झील के निकासी द्वार के ऊपर 40 फीट के हिस्से में नौ इंच का लिंटर है। इधर लगातार पड़ते वाहनों के दबाव की वजह से दो स्थानों पर दरार पड़ गई है, जबकि कलेक्ट्रेट जाने वाले मार्ग से पीछे की ओर करीब तीन मीटर का हिस्सा धंस रहा है। झील की ओर लिंटर का झुकाव नई चिंता के रूप में उभरा है।

सौ साल बाद हुआ था जर्जर

1980 में नए सिरे से डांठ बनाने वाले ठेकेदार देवेंद्र कुमार बताते हैं कि ब्रिटिशराज में बना डांठ सौ साल बाद जर्जर हुआ था। मार्च में काम शुरू कर 15 जुलाई को पूरा किया गया। उन्होंने बताया कि 90 के दशक की शुरुआत में भयंकर अतिवृष्टि में डांठ से पानी एक मीटर ऊपर आ गया, मगर कोई नुकसान नहीं हुआ। डांठ के 40 फीट के दायरे में चार लोनिवि सहायक अभियंताओं की मौजूदगी में काम कराया गया। तब ठेकेदार रहे और अब आम आदमी पार्टी के नेता देवेंद्र का दावा है कि मुख्य डांठ के ऊपर के लिंटर को सौ साल तक किसी तरह का खतरा नहीं है।

सिंचाई विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव

झील में ब्रिटिशकालीन गेटों के स्थान पर नए गेट बनाने के लिए एक करोड़ से अधिक का प्रस्ताव तैयार किया गया है। झील के निकासी द्वार के पास ही नए इलेक्ट्रॉनिक गेट बनाए जाएंगे। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता एनएस पतियाल के अनुसार, विभाग ने झील में गिरने वाले नालों की मरम्मत व डांठ की मरम्मत के लिए छह करोड़ से अधिक के प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजे हैं। प्रस्ताव की मंजूरी के बाद काम आरंभ किए जाएंगे।

नैनीताल के अस्तित्व से जुड़ा है डांठ

सरोवर नगरी में बलियानाला की तरह तल्लीताल डांठ भी शहर के अस्तित्व से जुड़ा है। बलियानाला में लगातार भूस्खलन से डेंजर जोन का दायरा बढ़ रहा है। बलियानाला भूस्खलन की वजह से कृष्णापुर तक को जोडऩे वाली सड़क का बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया है। शासनस्तर पर लगातार बैठकें तो खूब हुई, मगर अब तक बजट जारी नहीं हो सका। जिस कारण जिम्मेदार विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

माल रोड का एडीएम और लोनिवि अभियंताओं ने किया निरीक्षण

माल रोड में दरार चौड़ी होने के बाद जिला प्रशासन व लोक निर्माण हरकत में आ गया है। दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद बुधवार को एडीएम हरबीर सिंह के अलावा लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने लोअर और अपर माल रोड का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद शाम को लोनिवि की ओर से दरारों को पहले कोलतार फिर बजरी से पाटा जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार माल रोड के ट्रीटमेंट के लिए 40 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। निरीक्षण में मुख्य अभियंता बीएन तिवारी, एई पीसी उप्रेती, गोविंद जनौटी, जेएस कन्याल, जेई योगेश डोबरियाल शामिल थे।

दरारों पर निशान लगाए, हर 15 दिन में होगी नपाई

सरोवर नगरी की लोअर और अपर माल रोड पर पड़ी दरारों पर लोनिवि ने निशान लगा दिए हैं। अब हर 15 दिन में इन दरारों को नापा जाएगा। यह पता लगाया जाएगा कि दरारें चौड़ी हो रही हैं या नहीं। लोनिवि के अभियंताओं का अनुमान है कि झील के जलस्तर में कमी की वजह से भी दरार चौड़ी हो सकती है। फिलहाल दरारों को कोलतार के बाद उसमें रेत भरकर पाटा जा रहा है।


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