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Covid-19 Booster dose in india: विशेषज्ञों की राय- देश में अभी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज की कोई जरूरत नहीं

देश में फिलहाल 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। इस बीच कई विकसित देशों ने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की बूस्टर डोज देने का निर्णय लिया है। सवाल है भारत में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज कब दी जाएगी?

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 01:53 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 02:03 PM (IST)
Covid-19 Booster dose in india: विशेषज्ञों की राय- देश में अभी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज की कोई जरूरत नहीं
भारत में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने पर बहस शुरू।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। क्या वैक्सीन की एक बूस्टर डोज भारत को कोरोना के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगी जिसकी भारत को तलाश है? देश के विशेषज्ञों का कहना है कि हो सकता है कि एक आदर्श स्थिति में जहां अधिकांश लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया हो ये सही हो, लेकिन तब नहीं जब सिर्फ एक चौथाई से भी कम वयस्क आबादी ने वैक्सीन की दोनों डोज ली हों। जैसे-जैसे दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर बहस तेज हो रही है वैसे-वैसे भारत में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन देश के कई वैज्ञानिकों ने कहा कि प्राथमिकता यह सुनिश्चित करने की होनी चाहिए कि अधिक से अधिक लोगों को कम से कम वैक्सीन की पहली डोज लग जाए।

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जानिए विशेषज्ञों की क्या है राय

इम्यूनोलाजिस्ट सत्यजीत रथ का कहना है कि 15 प्रतिशत से कम भारतीय वयस्कों को वैक्सीन की दो डोज लगाई गई हैं और इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि सभी भारतीय जो संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हैं को अभी तक वैक्सीन को दोनों डोज नहीं लगी हैं। नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इम्यूनोलाजी (एनआईआई) के सत्यजीत रथ ने आगे कहा कि इसलिए मुझे लगता है कि इस स्तर पर भाग्यशाली वर्ग के लोगों के लिए तीसरी खुराक की योजना शुरू करना नैतिक रूप से समय से बहुत पहले की योजना है।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा करना व्यावहारिक रूप से समय से पहले भी है क्योंकि हमें वास्तव में इस बात का कोई स्पष्ट अंदाजा नहीं है कि कौन संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील है। हम जानते हैं कि कुछ श्रेणियां गंभीर बीमारी की चपेट में हैं लेकिन वर्तमान वैक्सीन की दो डोज कोरोना वायरस के खिलाफ काफी अच्छी तरह से सुरक्षा करती हैं।

इम्यूनोलाजिस्ट विनीता बल ने भी इस पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को इस समय बूस्टर डोज देने के बारे में नहीं सोचना चाहिए जबकि लगभग 40 प्रतिशत पात्र आबादी को पहली खुराक मिलना बाकी है। उनके विचार में, कमजोर लोगों, गंभीर बीमारी के खतरे वाले लोगों को अतिरिक्त डोज के लिए पात्र माना जा सकता है।

पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के गेस्ट फैकल्टी बाल ने कहा है कि लेकिन यह याद रखना होगा कि अतिरिक्त डोज में विशिष्ट वैरिएंट शामिल नहीं होते हैं जिन्हें अधिक 'खतरनाक' माना जाता है।

भारत में नहीं दी जा रहीं बूस्टर डोज

हालांकि भारत ने अभी तक तीसरी डोज शुरू नहीं की है लेकिन ऐसी खबरें हैं कि मुंबई में कुछ स्वास्थ्य कर्मियों और राजनेताओं ने बूस्टर डोज लिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि बूस्टर डोज फिलहाल केंद्रीय विषय नहीं है और दो डोज देना प्राथमिकता है। को-विन पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने शुक्रवार को 2.5 करोड़ से अधिक COVID-19 वैक्सीन खुराक का रिकॉर्ड बनाया जिससे देश में अब तक लगाई गई वैक्सीन डोज की संख्या 79.33 करोड़ हो गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही अनुमानित रूप से भारत की 63 प्रतिशत वयस्क आबादी को पहली डोज मिल चुकी है और 21 प्रतिशत को पूरी(दोनों डोज) लगाया जा चुका है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि इसलिए प्रतिरक्षा बढ़ाने के मामले में एक अतिरिक्त शॉट की उपयोगिता सीमित होगी।


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