Move to Jagran APP

कोरोनाकाल में कमजोर पड़ी टीबी के खिलाफ जंग, रिपोर्ट में सामने आई चिंताजनक तस्वीर

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में चिंताजनक बात यह है कि जांच से दूर रह गए टीबी मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है। 2019 में डब्ल्यूएचओ का अनुमान था कि दुनियाभर में 29 लाख ऐसे लोग हैं जो टीबी से ग्रस्त हैं लेकिन उनकी जांच नहीं हुई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 12:53 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 12:53 PM (IST)
कोरोनाकाल में कमजोर पड़ी टीबी के खिलाफ जंग, रिपोर्ट में सामने आई चिंताजनक तस्वीर
24 लाख नए मरीज मिले थे देश में 2019 में, जो 2018 की तुलना में 12 प्रतिशत ज्यादा था

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। कोरोना महामारी के कारण अन्य कई गंभीर बीमारियों के इलाज में देरी और दिक्कत की खबरें आती रही हैं। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में कोरोना के कारण क्षय रोग यानी टीबी उन्मूलन के प्रयासों को हुए नुकसान की तस्वीर सामने रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से 2020 के बीच बड़ी संख्या में टीबी के मरीज जांच और इलाज से वंचित रह गए। रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान 197 देशों में टीबी के मरीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।

loksabha election banner

रिपोर्ट में सामने आई चिंताजनक तस्वीर

  • 28 लाख लोगों को 2020 में टीबी का प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट मिल पाया, जो 2019 की तुलना में 21 प्रतिशत कम है
  • दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए 2020 में कुल 1.50 लाख लोगों को इलाज मिला। 2019 में इनकी संख्या 1.77 लाख रही थी
  • जरूरत के हिसाब से देखा जाए तो दवा प्रतिरोधी टीबी के तीन में से करीब एक मरीज को ही इलाज उपलब्ध हो पाता है
  • टीबी की जांच और इलाज पर निवेश भी कम हुआ है। 2020 में इस क्षेत्र में 5.3 अरब डालर कर निवेश हुआ, जबकि 2022 तक सालाना 13 अरब डालर के निवेश का लक्ष्य है
  • 2015 से 2020 के बीच टीबी से होने वाली मौतों में मात्र 9.2 प्रतिशत की कमी आई, जबकि लक्ष्य 35 प्रतिशत की कमी का था
  • 2015 से 2020 के दौरान आबादी की तुलना में टीबी से ग्रस्त होने वालों में 11} की कमी आई, जबकि लक्ष्य 20} की कमी का था

बढ़ गए मौत के मामले : डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि महामारी ने टीबी उन्मूलन के प्रयासों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। 2010 में टीबी के कारण करीब 15 लाख लोगों ने जान गंवा दी। 2019 के मुकाबले मरने वालों की संख्या बढ़ी है। एक दशक से ज्यादा समय में पहली बार टीबी से मरने वालों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में यह चिंता भी जताई गई है कि 2021 और 2022 में टीबी के नए मरीजों और इससे जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनम ने कहा, ‘इस रिपोर्ट में हमारी चिंता को सही साबित किया है कि महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में आई कमी से टीबी उन्मूलन के वर्षो के प्रयास को झटका लग सकता है।’

लाकडाउन ने बढ़ाई मुश्किल : मार्च, 2021 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय की रिपोर्ट में कहा गया था कि जनवरी से दिसंबर, 2020 के दौरान देश में टीबी के नए मामलों में 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट की बड़ी वजह कोरोना के कारण लगा देशव्यापी लाकडाउन था। लाकडाउन के कारण लोगों को अस्पताल जाने और जांच कराने में मुश्किल का सामना करना पड़ा था।

लाखों लोग जांच से दूर : डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में चिंताजनक बात यह है कि दुनियाभर में 41 लाख लोग टीबी के कारण खतरे की जद में हैं, लेकिन सरकारों को पता नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.