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    Karnataka: मंगलुरु की अदालत ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न मामले में व्यक्ति को माना दोषी, तीन साल की जेल की सजा

    By AgencyEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Tue, 08 Aug 2023 05:48 PM (IST)

    मंगलुरु की एक अदालत ने मंगलवार को एक नाबालिग युवती से दुष्कर्म के मामले में दोषी को तीन साल की सजा सुनाई। अदालत ने 31 वर्षीय व्यक्ति को एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने और उसके परिवार के सदस्यों से 15 पाउंड सोने के आभूषण लेने के आरोप में दोषी पाया। साथ ही दोषी पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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    नाबालिग से दुष्कर्म मामले में व्यक्ति को तीन साल की सजा।

    मंगलुरु, पीटीआई। मंगलुरु की एक अदालत ने मंगलवार को एक नाबालिग युवती से दुष्कर्म के मामले में दोषी को तीन साल की सजा सुनाई। अदालत ने 31 वर्षीय व्यक्ति को एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने और उसके परिवार के सदस्यों से 15 पाउंड सोने के आभूषण लेने के आरोप में दोषी पाया।

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    अदालत ने लगाया पांच हजार का जुर्माना

    इसके साथ ही न्यायाधीश मंजुला इत्ती ने शहर के जेप्पिनामोगारू के दोषी रोशन डिसूजा पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। आरोप पत्र के अनुसार, उस व्यक्ति ने नाबालिग ईसाई लड़की से दोस्ती की थी।

    शख्स ने नाबालिग को अपने जाल में फंसाया

    दोस्ती करने के बाद दोषी व्यक्ति ने युवती को विश्वास दिलाया कि वह भी उसी धर्म (ईसाई) का है और इंफोसिस के लिए काम करता है। लड़की का विश्वास जीतने के बाद वह उसे शहर के होटलों और मॉलों में ले गया और उससे अपने रिश्ते को गुप्त रखने के लिए कहा।

    शख्स ने पैसे के बहाने सोने की ठगी की

    कुछ दिनों के बाद डिसूजा ने लड़की से कहा कि उसे तुरंत कुछ पैसों की जरूरत है। वह उसके घर गया और उसके परिवार के सदस्यों को आश्वस्त किया और उनसे 86 ग्राम सोने के गहने ले लिए।

    पुलिस ने कहा कि बाद में वह व्यक्ति लड़की के साथ उसकी दादी के घर गया और वहां से 34 ग्राम सोना और ले गया। कुल मिलाकर, उसने लड़की के परिवार से 15 पाउंड सोने के आभूषण प्राप्त किए।

    आठ साल बाद मामले में आया फैसला

    पुलिस ने बताया कि 30 मार्च 2016 को वह लड़की को कादरी पार्क ले गया और उसका यौन उत्पीड़न किया। उस दिन लड़की देर से घर पहुंची और जब उसके माता-पिता ने उससे पूछताछ की तो उसने आपबीती बताई।

    जब परिवार के सदस्यों ने डिसूजा के बारे में पूछताछ की, तो उन्हें पता चला कि वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं था, जैसा कि उसने खुद को बताया था, बल्कि एक कैटरिंग कंपनी में सप्लायर के रूप में काम करता था।

    इसके बाद परिवार ने डिसूजा के खिलाफ उल्लाल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था। इस मामले में अदालत ने सरकार को पीड़िता को 50,000 रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया।