'देश को एसएससी महिला वायु सेना अधिकारियों पर गर्व है', सुप्रीम कोर्ट बोला- जमीन हो या हवा, हर ड्यूटी महत्वपूर्ण
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कुछ महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इन्कार करने के खिलाफ अंतिम दलीलें सुनते हुए कहा कि देश को शार्ट सर्विस कमीशन ( ...और पढ़ें

'देश को एसएससी महिला वायु सेना अधिकारियों पर गर्व है', सुप्रीम कोर्ट (फोटो- पीटीआई)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कुछ महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इन्कार करने के खिलाफ अंतिम दलीलें सुनते हुए कहा कि देश को शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला वायु सेना अधिकारियों पर गर्व है, चाहे सशस्त्र बलों में उनकी भूमिका कुछ भी हो।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने विंग कमांडर सुचेता एडन और अन्य का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी की दलीलें सुनते हुए यह टिप्पणी की।
याचिकाकर्ताओं ने स्थायी कमीशन (पीसी) से इनकार किए जाने को भेदभावपूर्ण बताया था। जब एक एसएससी महिला अधिकारी ने वायु सेना में अपनी नौकरी का विवरण देने के लिए खुद तर्क दिया, तो सीजेआइ ने कहा-किसी भी प्रणाली में हर जिम्मेदारी का महत्व है। चाहे आप जमीन पर काम करें या एयर ड्यूटी करें..देश को आपकी सेवाओं पर गर्व है।
गुरुस्वामी ने सशस्त्र बलों की मानव संसाधन नीति, 2019 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें स्थायी कमीशन के मानदंडों को बदल दिया गया था। यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
बताते चलें, 2020 के बाद से शीर्ष अदालत ने सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के मुद्दे पर कई आदेश पारित किए हैं। सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन एक ऐसा करियर है, जो अधिकारी को सेवानिवृत्ति की आयु तक नौकरी में रहने की अनुमति देता है। दूसरी तरफ शार्ट सर्विस कमीशन में नौकरी की एक निश्चित अवधि होती है।

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