Move to Jagran APP

Positive India: कोरोना से लड़ाई में बेहद कारगर हैं आईआईटी के ये ऐप

दुनिया में कोरोना से बचाव के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है। हर कोई अपनी तरह से यह लड़ाई लड़ रहा है। मेडिकल प्रोफेशनल डॉक्टर वैज्ञानिक और नीति-निर्माता रोज नए प्रयोग कर रहे हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 09:12 AM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 09:22 AM (IST)
Positive India: कोरोना से लड़ाई में बेहद कारगर हैं आईआईटी के ये ऐप
Positive India: कोरोना से लड़ाई में बेहद कारगर हैं आईआईटी के ये ऐप

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। देश-दुनिया में कोरोना से बचाव के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है। हर कोई अपनी तरह से यह लड़ाई लड़ रहा है। मेडिकल प्रोफेशनल, डॉक्टर, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति-निर्माता रोज नए प्रयोग कर रहे हैं। कुछ प्रयोगों के नतीजे भी उत्साहवर्धक हैं। इस क्रम में हम आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए कुछ ऐप के बारे में बता रहे हैं, जो कोरोना से लड़ाई में बेहद कारगर हैं।

loksabha election banner

कोविड ट्रेसर

आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने कोविड ट्रेसर मोबाइल ऐप बनाया है। इसके माध्यम से यह पता लगाया जा सकेगा कि कोरोना का संदिग्ध या संक्रमित मरीज आपसे कितनी दूर है। इसके जरिये लोग ये पता लगा सकते हैं कि उनके इलाके में क्वारनटीन किए गए लोगों की संख्या कितनी है। इससे लोग संक्रमित व्यक्त‍ि या क्वारनटीन किए गए किसी इलाके में आगे जाने पर सतर्क रहेंगे। यह ऐप क्वारनटीन में भेजे गए लोगों को ट्रैक करने के अलावा आइसोलेशन वाले मरीजों पर भी निगरानी रख सकता है। अगर आइसोलेशन में रह रहा मरीज उसका उल्लंघन करता है तो ऐप तुरंत सतर्क कर सकता है। संदिग्ध का डाटा फीड करने के बाद जीपीएस तकनीक के जरिए तैयार इस ऐप में संदिग्ध की लोकेशन मिलती रहेगी। यह भी पता चलेगा कि संदिग्ध किसी से मिल तो नहीं रहा है। एक खास अवधि के बाद एसएमएस के जरिए अलर्ट मिलने के साथ ही लोकेशन का मैसेज भी मिलता रहेगा।

वाश करो ऐप

इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) दिल्ली ने कोरोना से बचने के लिए सफाई और सोशल डिस्टैंसिंग को ध्यान में रखकर 'वॉश करो' (Wash Karo) ऐप बनाया है। इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस और इससे बचाव के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखकर ये ऐप विकसित किया है। इसे गूगल प्ले से डाउनलोड किया जा सकता है। यह ऐप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कोरोना से जुड़ी सारी जानकारी देता है। आईआईटी दिल्ली में कंप्यूटेशनल बायोलॉजी के प्रोफेसर तवप्रितेश सेठी और कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर पोन्नूरंगम कुमारगुरु ने मिलकर यह ऐप बनाया है। यह ऐप चैटबोट, मिथ बस्टर, कोविड ट्रेसर, ऑनएयर और लक्षण ट्रैकर जैसी सुविधाओं से लैस है। प्रो. सेठी ने बताया है कि यह ऐप आपको समय-समय पर हाथ धुलने की याद तो दिलाता ही है। साथ ही कोरोना वायरस के संबंध में फर्जी खबरों और गलत जानकारियों से भी बचाता है। सेठी और कुमारगुरु ने बताया कि भारत कोरोना को लेकर क्या काम कर रहा है, इसकी जानकारी भी इससे मिलेगी। सरकार की वेबसाइट के रोज के आंकड़े इसके डैशबोर्ड पर आ जाएंगे। साथ ही कोरोना से जुड़े जो मिथक हैं, उनकी जानकारी होगी।

वाश करो ऐप को डाउनलोड करने वाले लोग यदि 2 से 20 मीटर के दायरे में होते हैं तो यह ऐप तुरंत अलर्ट करता है। प्रोफेसर कुमारगुरु ने बताया कि जो लोग लिखित मैसेज नहीं पढ़ सकते हैं या फिर जिनके पास पढ़ने का समय नहीं है, ऐसे लोगों के लिए रोजाना ऑडियो फॉर्मेट में नई जानकारी दी जाएगी। इसकी चैटबॉट सुविधा आपको सीधे सरकारी वॉट्सएप हेल्पलाइन नंबरों पर से जोड़ती है।

वॉश करो ऐप को डाउनलोड करने वाले लोग यदि 2 से 20 मीटर के दायरे में होते हैं तो यह ऐप तुरंत अलर्ट करता है। इस ऐप को आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटेशनल बॉयोलॉजी की प्रोफेसर तवप्रितेश सेठी और कंप्यूटर साइंस के प्रो. पी कुमारगुरु ने तैयार किया है। प्रो. पी कुमारगुरु ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइंस भी इस पर हैं। यह ऐप आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस की मदद से सही जानकारी देगा। अभी ऐप में उन लोगों का डाटा उपलब्ध नहीं है, जिन्हें क्वारंटीन किया गया है या जो कोरोना से पीड़ित हैं।

कोविड एनालाइजर या डिटेक्शन

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर ने एक ऐसा ऐप बनाया है, जो संदिग्ध मरीज के एक्स-रे स्कैन का प्रयोग कर पांच सेकेंड में कोरोना का पता लगा सकता है। यह ऐप किसी भी व्यक्ति के एक्स-रे की जांच के आधार पर कुछ ही सेकेंड में कोरोना के पॉजिटिव या निगेटिव होने की जानकारी देगा। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने दावा किया कि सॉफ्टवेयर न सिर्फ जांच का खर्च कम करेगा, बल्कि स्वास्थ्य पेशेवरों के वायरस के संपर्क में आने का जोखिम भी घटाएगा। उन्हें इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने में 40 दिन का समय लगा। उन्होंने कहा कि इस स़ॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर डॉक्टर, लोगों के एक्स-रे की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति को कोरोना से ग्रसित होने का संदेह हो, उसे अपनी छाती का एक्सरे कराना होगा। इसके बाद यह सॉफ्टवेयर उस एक्स-रे को स्कैन करने के बाद डीप लर्निंग करेगा और यह बताएगा कि एक्स-रे रिपोर्ट वाले व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हैं या नहीं। इसके अलावा, यह सॉफ्टवेयर शरीर की दूसरी बीमारी की भी पुष्टि करेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.