महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर रखने पर बढ़ा विवाद, मुत्ताकी ने दी सफाई; विपक्ष का केंद्र पर निशाना
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित न करने को 'तकनीकी गलती' बताया, न कि जानबूझकर किया गया फैसला। उन्होंने यह भी कहा कि महिला शिक्षा को धार्मिक रूप से हराम नहीं कहा गया है, बल्कि इसे अस्थायी रूप से रोका गया है। इस घटना पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जिसमें विपक्ष और मीडिया संगठनों ने इसे भेदभावपूर्ण बताया।

कांग्रेस, सीपीएम और मीडिया संगठनों ने जताया कड़ा विरोध (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने रविवार को महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित न किए जाने पर उठे विवाद पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह किसी जानबूझकर किए गए फैसले का नतीजा नहीं था, बल्कि सिर्फ एक तकनीकी गलती थी।
मुत्ताकी ने कहा, "प्रेस कॉन्फ्रेंस अचानक तय हुई थी और पत्रकारों की एक छोटी सूची तैयार की गई थी। यह केवल एक तकनीकी मामला था, इसके पीछे कोई और वजह नहीं थी। हमारे सहयोगियों ने सीमित संख्या में पत्रकारों को निमंत्रण भेजा था।"
उन्होंने आगे कहा, "अफगानिस्तान में 2.8 मिलियन से ज़्यादा लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। शिक्षा पर कुछ सीमाएं हैं, लेकिन हमने कभी महिलाओं की शिक्षा को धार्मिक रूप से हराम नहीं कहा, बस इसे अस्थायी रूप से रोका गया है।"
महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति पर हंगामा
शुक्रवार को मुत्ताकी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक भी महिला पत्रकार मौजूद नहीं थी, जिसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। विपक्ष ने इसे महिलाओं का 'अपमान' बताया और सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वे महिलाओं को सार्वजनिक मंचों से दूर रखे जाने की अनुमति देते हैं, तो यह दिखाता है कि वे 'महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में कमजोर' हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी घटना पर नाराजगी जताई और कहा कि पुरुष पत्रकारों को उस समय वॉक आउट करना चाहिए था जब उन्हें पता चला कि उनकी महिला सहयोगियों को आमंत्रित नहीं किया गया है।
सरकार और मीडिया संगठनों की प्रतिक्रिया
सीपीआई(एम) के महासचिव एम.ए. बेबी ने इसे निंदनीय कदम बताया और कहा कि भारत सरकार ने तालिबान की शर्तें स्वीकार कर लीं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने इस घटना को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि इसे राजनयिक विशेषाधिकार के तहत सही नहीं ठहराया जा सकता।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने सफाई दी कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। यह कार्यक्रम अफगानिस्तान के कौंसल जनरल कार्यालय द्वारा आयोजित किया गया था और पत्रकारों की सूची तालिबान अधिकारियों ने तय की थी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।