Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अवमानना मामला: न्यायपालिका पर आरोप की परिस्थितियों और प्रक्रिया पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Mon, 17 Aug 2020 08:33 PM (IST)

    कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को किसी जज से शिकायत है तो उसकी क्या प्रक्रिया होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि वह इन सवालों पर सुनवाई करेंगे कि क्या ऐसा बयान दिया जा सकता है।

    अवमानना मामला: न्यायपालिका पर आरोप की परिस्थितियों और प्रक्रिया पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

     नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शायद अब यह तय होगा कि अगर न्यायपालिका और न्यायाधीशों पर आरोप लगाना है तो किस प्रक्रिया का पालन करना होगा। प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सोमवार को कोर्ट ने वृह्द कानूनी सवालों पर विचार करने के संकेत दिये। सोमवार को भूषण के खिलाफ पिछले 11 वर्षों से लंबित 2009 का अवमानना मामला सुनवाई पर लगा था। सुनवाई के दौरान भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि आज की सुनवाई इस मुद्दे पर है कि क्या भूषण द्वारा दिया गया बयान अवमानना माना जाएगा। तभी तरुण तेजपाल की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने मामला खत्‍म करने का आग्रह किया और कहा कि इस पर बहस की जरूरत क्या है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीठ ने कहा कि वे मामले को खतम करना चाहते थे लेकिन इन लोगों की तरफ से कुछ सवाल उठाए गए। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को किसी जज से शिकायत है तो उसकी क्या प्रक्रिया होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि वह इन सवालों पर सुनवाई करेंगे कि क्या ऐसा बयान दिया जा सकता है। किन परिस्थितियों में इस तरह के आरोप लगाए जा सकते हैं। इसकी प्रक्रिया क्या होनी चाहिए। जब कोई मामला कोर्ट में लंबित है तो किस हद तक उस पर मीडिया या कहीं और टिप्पणी की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सुनवाई करना चाहता है क्योंकि इसे बाद के लिए छोड़ना ठीक नहीं होगा। 

    इस पर धवन ने कहा कि कोर्ट द्वारा तय किये गए सवाल अर्थपूर्ण हैं। कोर्ट भूषण के खिलाफ यह मामला बंद कर दे और इन कानूनी सवालों को विचार के लिए बड़ी पीठ को भेज दे। पीठ ने कहा कि वह सुनवाई करेंगे कि क्या इस तरह का बयान दिया जा सकता है और जब बयान दिया गया तो क्या प्रक्रिया अपनाई गई। वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कोर्ट से नियमित सुनवाई शुरू होने तक दो सप्ताह के लिए स्थगन मांगा। लेकिन कोर्ट ने सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाली। 

    प्रशांत भूषण की ओर से रविवार को दाखिल किये गए लिखित जवाब में कहा गया है कि भ्रष्टाचार के आरोप जनहित में लगाए गए थे और ये संविधान में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के तहत आते हैं, इसे अवमानना नहीं माना जा सकता। यह भी कहा था कि आरोपों की जांच होनी चाहिए। आरोपों की जांच की बात कहते हुए भूषण की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनकरन और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सौमित्र सेन के मामले का उदाहरण दिया गया है। 

    भूषण दाखिल करेंगे पुनर्विचार याचिका

    उधर, दूसरी ओर प्रशांत भूषण की ओर से कोर्ट में बताया गया कि अवमानना के मामले में दोषी ठहराए जाने के गत 14 अगस्त के आदेश के खिलाफ वे कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। यह मामला प्रशांत भूषण के गत 27 जून को किये गए दो ट्वीट्स का था जिसमें भूषण ने एक ट्वीट में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की मोटर साइकिल की तस्वीर पर टिप्पणी की थी और दूसरे ट्वीट में चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के कार्यकाल पर टिप्पणी की थी। 

     

    comedy show banner
    comedy show banner