नई दिल्ली, पीटीआई। कॉलेजियम प्रणाली को लेकर चल रही तनातनी के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि संविधान का विकास संसद में होना है एवं न्यायपालिका और कार्यपालिका सहित किसी अन्य 'सुपर निकाय' या संस्था की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल पीएस राममोहन राव के संस्मरण के विमोचन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह संविधान की प्रधानता है जो लोकतांत्रिक शासन की स्थिरता, सद्भाव और उत्पादकता निर्धारित करती है और लोगों के जनादेश को दर्शाने वाली संसद संविधान का अंतिम और विशिष्ट निकाय है।

इससे एक दिन पहले कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के संबंधों के बीच 'लक्ष्मण रेखा' होने का जिक्र किया था।

'संविधान को विकसित करने में कार्यपालिका की कोई भूमिका नहीं'

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे कहा कि संविधान को संसद के जरिए लोगों से विकसित होना है, कार्यपालिका से नहीं। संविधान को विकसित करने में कार्यपालिका की कोई भूमिका नहीं है, न्यायपालिका सहित किसी अन्य संस्था की भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि संविधान का क्रमिक विकास संसद के माध्यम से होना चाहिए और इसको देखने के लिए कोई सुपर निकाय नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि वह विरोधाभास के डर के बिना टिप्पणी कर रहे हैं और उन्होंने संविधान सभा की चर्चा के साथ ही उन देशों के संविधानों का अध्यनन किया है जहां लोकतंत्र फलता-फूलता है।

CJI ने कॉलेजियम को बताया था अच्छी प्रणाली

उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका तथा सरकार के मध्य खींचतान के बीच प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने एक दिन पहले कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा था कि हर प्रणाली दोष से मुक्त नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है।

उन्होंने कहा था कि इस प्रणाली का उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करना है, जो एक बुनियादी मूल्य है।

Edited By: Anurag Gupta