कांग्रेस का दावा, 50 दिन नहीं 6 महीने चलेगी नोटबंदी की मुश्किल
पार्टी ने कहा है कि सरकार और प्रधानमंत्री का 50 दिन में नोटबंदी की मुश्किलों से राहत दिलाने का भरोसा जनता को झांसा है।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। नोटबंदी से लोगों को हो रही दिक्कतों का जल्द समाधान निकलने के सरकार के दावों को कांग्रेस ने खारिज कर दिया है। पार्टी ने कहा है कि सरकार और प्रधानमंत्री का 50 दिन में नोटबंदी की मुश्किलों से राहत दिलाने का भरोसा जनता को झांसा है। क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की खुद की रिपोर्ट के हिसाब से जितने नोटों को बंद किया गया है उसे छापने में कम से कम 6 से लेकर 9 महीने लगेंगे। कांग्रेस के अनुसार इस हकीकत से जुड़े सवालों का संसद में उत्तर देने से बचने के लिए प्रधानमंत्री सदन की बहस में नहीं आ रहे हैं और जनता को झांसा दे रहे हैं।
कांग्रेस ने नोटबंदी पर अपने जुटाए आंकड़ों के आधार पर सरकार पर वार करने के लिए वरिष्ठ पार्टी नेता और वकील कपिल सिब्बल को आज मैदान में उतारा। सिब्बल ने पार्टी की ब्रीफिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें उस दिन की याद दिलाई जब संसद को लोकतंत्र का मंदिर मानते हुए पीएम ने उसके दरवाजे पर माथा झुकाया था। उन्होंने कहा कि पीएम अपनी इस भावना के साथ लोकतंत्र की मर्यादा को भी भूल रहे हैं। तभी संसद के दोनों सदनों में बहस से खुद की दूरी बना रहे हैं।
नोटबंदी से परेशानी कैसी, 'यहां' चलाएं अपने पुराने 500 रुपये के नोट
सिब्बल ने कहा कि सरकार हर दूसरे दिन नोटबंदी से जनता को हो रही दिक्कतों का हल निकालने का समय बढ़ाती जा रही है। पहले तीन दिन फिर एक हफ्ते और अब 50 दिन में लोगों को पैसे मिलने की दिक्कत दूर होने की बात हो रही है। जबकि रिजर्व बैंक की बीते 21 नवंबर के जारी डाटा के हिसाब से 500 और 1000 रुपए के 2203 करोड़ नोट प्रचलन में थे।
आरबीआई की यही रिपोर्ट कहती है कि सालाना वह 2300 करोड़ नोट ही प्रिंट कर सकती है। सिब्बल ने कहा इस लिहाज से 15 लाख करोड रुपए के प्रचलित नोटों के बदले नए नोट छापने में 9 महीने तक लग सकते हैं। सरकार और रिजर्व बैंक पूरी क्षमता भी लगा दे तो कम से कम 6 माह नोट छापने में लगेंगे। ऐसे में सरकार का 50 दिन में हालात सुधारने का दावा गलत है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी को लेकर तैयारी नहीं की थी इसका अंदाजा अफरा-तफरी में छपे 500 रुपए के दो किस्म के नोटों से जाहिर है। उन्होंने यह भी दावा किया कि देश की 80 करोड जनता की आय 10 हजार रुपए महीने से कम है और इसमें से अधिकांश नगद लेन-देन करते हैं और यह कालाधन नहीं है। लेकिन सरकार ने आज ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि इन सभी की मेहनत की कमाई कालाधन मानी जा रही है। सिब्बल ने कहा कि नोटबंदी की वजह से आज डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है और असंगठित क्षेत्र में लाखों लोगों के सामने बेरोजगारी की स्थितियां बन रही हैं।
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