'यह एक बड़ी कूटनीतिक चूक है...' ,G7 बैठक में PM मोदी के शामिल न होने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
जी-7 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित नहीं किए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया है। 2014 के बाद भी भारतीय प्रधानमंत्रियों को इन सम्मेलनों में आमंत्रित करने की परंपरा जारी रही। लेकिन छह वर्षों में पहली बार विश्वगुरु इस कनाडा शिखर सम्मेलन में उपस्थित नहीं होंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्व के सात सबसे अमीर देशों के संगठन जी-7 के शिखर सम्मेलन में भाग लेने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित नहीं किए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया है।
पार्टी ने कहा है कि वर्षों से भारत के प्रधानमंत्री को इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में लगातार आमंत्रित किया जाता रहा है मगर कनाडा में हो रहे सम्मेलन का न्यौता नहीं मिलना कुछ वैसी ही कूटनीतिक चूक है जैसा भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई मध्यस्थता।
15 जून को होने वाला है सम्मेलन
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने जी-7 में भारत के शासनाध्यक्ष को नहीं बुलाए जाने पर बयान जारी करते हुए कहा कि 15 जून से कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस में हो रहे इस सम्मेलन में अमेरिका और फ्रांस के राष्ट्रपतियों, ब्रिटेन, जापान, इटली और कनाडा के प्रधानमंत्रियों तथा जर्मनी के चांसलर की भागीदारी होगी। साथ ही इसमें ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को भी सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है।
2014 के बाद भी भारतीय प्रधानमंत्रियों को इन सम्मेलनों में आमंत्रित करने की परंपरा जारी रही। लेकिन छह वर्षों में पहली बार विश्वगुरु इस कनाडा शिखर सम्मेलन में उपस्थित नहीं होंगे।
यह एक और बड़ी कूटनीतिक चूक: कांग्रेस
सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि चाहे इस पर जितनी भी 'स्पिन' दी जाए सच्चाई यह है कि यह एक और बड़ी कूटनीतिक चूक है। ठीक उसी तरह जैसे भारत सरकार ने अमेरिका को भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का मौका देकर हमारी दशकों पुरानी विदेश नीति को पलट दिया।
इस कदम ने अमेरिकी अधिकारियों को यह छूट दे दी कि वे खुलेआम किसी 'न्यूट्रल साइट' पर भारत-पाक के बीच बातचीत जारी रखने की अपील करें। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 2014 से पहले जी-7 वास्तव में G-8 हुआ करता था जिसमें रूस भी शामिल था।
उस समय तत्कालनी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को जी-8 शिखर सम्मेलनों में आमंत्रित किया जाता था और वहां उनकी बातें गंभीरता से सुनी जाती थी। इसका उदाहरण देते हुए जयराम ने कहा कि जून 2007 में जर्मनी में हुए ऐसे ही एक सम्मेलन में प्रसिद्ध सिंह मर्केल फॉर्मूला प्रस्तुत किया गया था, जिसे जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय बातचीत की दिशा तय करने वाला माना गया
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