सांसदों को 'व्हिप तानाशाही' से मुक्त करने की कवायद में जुटी कांग्रेस, लोकसभा में बिल पेश
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में एक और विधेयक पेश किया है, जिसका उद्देश्य सांसदों को 'व्हिप तानाशाही' से मुक्त करना है। यह विधेयक उन्हें सरकार ...और पढ़ें

संसद सत्र। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में दलबदल विरोधी कानून में संशोधन के लिए निजी विधेयक पेश करने वाले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में एक बार फिर एक विधेयक पेश किया है।
इसका उद्देश्य सांसदों को सरकार की स्थिरता को प्रभावित करने वाले विधेयकों और प्रस्तावों के अलावा अन्य विधेयकों और प्रस्तावों पर स्वतंत्र रूप से मतदान करने की अनुमति देना है ताकि उन्हें ''व्हिप तानाशाही'' से मुक्त किया जा सके और ''अच्छे कानून निर्माण'' को बढ़ावा दिया जा सके।
मनीष तिवारी ने क्या कहा?
मनीष तिवारी ने कहा कि उनका प्रस्तावित विधेयक यह तय करने का प्रयास करता है कि लोकतंत्र में किसकी प्राथमिकता है - वह मतदाता जो अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए घंटों धूप में खड़ा रहता है या किसी राजनीतिक दल का सचेतक (व्हिप) जिसके हाथ में संपूर्ण अधिकार रहता है। 2010 और 2021 के बाद तीसरी बार लोकसभा में तिवारी द्वारा पेश किया गया यह विधेयक, सांसदों को विश्वास प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, धन विधेयक और वित्तीय मामलों के अलावा अन्य विधेयकों और प्रस्तावों पर मतदान में स्वतंत्र रुख अपनाने की स्वतंत्रता देने का प्रयास करता है, जो सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
तिवारी ने बताया, ''यह विधेयक विधायिका के सभी स्तरों पर विवेक, निर्वाचन क्षेत्र और सामान्य ज्ञान को वापस लाने का प्रयास करता है ताकि एक निर्वाचित प्रतिनिधि वास्तव में उन लोगों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करे जिन्होंने उसे चुना है, न कि अपनी पार्टी द्वारा जारी किए गए व्हिप के साधन के रूप में।''
यह पूछे जाने पर कि क्या विधेयक का उद्देश्य व्हिप तानाशाही को दूर करना और अच्छे कानून निर्माण को बढ़ावा देना है, तिवारी ने कहा, ''बिल्कुल..विधेयक को प्रासंगिक बनाना जरूरी है। 1950 से 1985 तक, संसद सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को उनके संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा व्हिप जारी किए जाते थे, लेकिन व्हिप का कोई दंडात्मक प्रभाव नहीं होता था।''

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