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    कांग्रेस ने जल जीवन मिशन में 10 हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार आरोप लगाया, CBI जांच की मांग

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 07:20 AM (IST)

    हर-घर जल पहुंचाने की परियोजना जल जीवन मिशन (जेजेएम) में 10 हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने लगायाहै। शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा अधिकारियों की कॉल डिटेल निकाली जाए और सीबीआइ जांच हो तो सच्चाई सामने आएगी।प्रदेश के सभी जिलों को एक मॉडल डीपीआर के प्रारूप में आंकड़े भरकर भेजने के लिए कहा गया।

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    कांग्रेस ने जल जीवन मिशन में 10 हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार आरोप लगाया (सांकेतिक तस्वीर)

     जेएनएन, भोपाल। हर-घर जल पहुंचाने की परियोजना जल जीवन मिशन (जेजेएम) में 10 हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने लगाया है। शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, अधिकारियों की कॉल डिटेल निकाली जाए और सीबीआइ जांच हो तो सच्चाई सामने आएगी।

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    कई तकनीकी विकल्पों की अनदेखी की

    उन्होंने कहा, गड़बड़ी के उद्देश्य से उसी मॉडल पर 27 हजार ट्यूबवेल आधारित योजनाएं बनाकर कई तकनीकी विकल्पों की अनदेखी की। इतनी बड़ी परियेाजना में मेंटेनेंस का प्रविधान नहीं किया गया। प्रदेश के सभी जिलों को एक मॉडल डीपीआर के प्रारूप में आंकड़े भरकर भेजने के लिए कहा गया। यानी वास्तविक डीपीआर नहीं बनाई गई। इसके लिए कंसल्टेंट को प्रति डीपीआर 10 हजार रुपये भुगतान किए गए, जबकि मात्र गूगल के आंकडों के आधार पर डीपीआर तैयार कर भेजी गई, जिससे बाद में बड़ा बदलाव करना पड़ा।

    कटारे ने लगाए ये आरोप

    कटारे ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारियों ने जिलों को फंड देने में अनियमितता की है। उन्होंने कहा, मामले में विभाग की मंत्री संपतिया उइके पर भी आरोप लगे तो प्रमुख अभियंता ने जांच के बाद क्लीन चिट दे दी, जबकि उन्हें जांच के अधिकार ही नहीं हैं।

    इस तरह की गड़बड़ी के लगाए आरोप

    • बेकार यत्रों की खरीदी- नोडल अधिकारी के मौखिक निर्देश पर परियोजना में सिल्वर लोनिजर यंत्र जोड़ा गया। इसकी बाजार कीमत चार हजार रुपये है, जिसे 70 हजार से एक लाख रुपये में खरीदा गया। आईआईटी चेन्नई की रिपोर्ट अनुसार इस यंत्र की कोई उपयोगिता नहीं थी।
    • पुरानी पाइप लाइन - पुरानी पाइप लाइनों को नए बिल में दिखाकर राशि आहरित की गई है जिसका सीपेट की रिपोर्ट में राजफाश हो चुका है।
    • दरों में संशोधन - पुराने टेंडरों को संशोधित कर सभी जिले में टेंडर दरों में 265 प्रतिशत तक वृद्धि की गई। बढ़ी हुई 2750 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार को वहन करनी पड़ी।

    हेमंत कटारे के सभी आरोपों को बताया निराधार

    हेमंत कटारे के आरोपों को राज्य शासन ने सिरे से खारिज करते हुए सभी बिंदुओं पर सफाई दी है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि योजना में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। डीपीआर बनाने से लेकर राशि आवंटन और उपकरणों की खरीदी निर्धारित मापदंड और भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार हुई है।

    27000 ट्यूबवेल आधारित योजनाएं बनाकर विकल्पों की अनदेखी की गई

    अधिकारियों के अनुसार, यह कहना गलत है कि 27000 ट्यूबवेल आधारित योजनाएं बनाकर विकल्पों की अनदेखी की गई है। सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने मानक डीपीआर का प्रारूप एवं गाइडलाइन भेजी थी।

    सभी तकनीकी पहलुओं का समावेश हो इसलिए माडल गाइडलाइन जारी होती है। सभी जगह सरफेस वाटर योजना बनाने के लिए जल स्रोत उपलब्ध नहीं हैं और यह योजनाएं महंगी भी होती हैं।

    योजना में मेंटेनेंस का प्रविधान नहीं किए जाने के पीछे विभाग का तर्क है कि केंद्र सरकार ने ही मेंटेनेंस का प्राविधान नहीं किया है। यह काम ग्राम पंचायत को करना है। डीपीआर संशोधित कर राशि में वृद्धि के संबंध में विभाग के अधिकारियों ने कहा है की पुनरीक्षित योजनाओं के प्रकरणों के परीक्षण के लिए मुख्य अभियंताओं की अध्यक्षता में समितियों का गठन किया गया था।

    सिल्वर आयोनाइजर की खरीदी भी नियम के अनुसार हुई

    पुनरीक्षित योजनाओं का विस्तृत परीक्षण करने के बाद समिति की अनुशंसा पर ही स्वीकृति शासन द्वारा की गई है। प्रमुख अभियंता की नियुक्ति भी नियमानुसार हुई है। प्रदेश में घरेलू नल कनेक्शन 13 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत से अधिक हो गया है। सिल्वर आयोनाइजर की खरीदी भी नियम के अनुसार हुई है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, नागपुर के परीक्षण और तकनीकी समिति के अनुमोदन के बाद ही लिए गए हैं जो कि अच्छे से काम भी कर रहे हैं।

     1300 ग्रामों का रैंडम सर्वेक्षण किया गया जिनमें 95 प्रतिशत में नल कनेक्शन मिले

    विभाग ने यह भी कहा है की जिन पाइप लाइनों को बिछाया गया है उन्हीं का भुगतान टीपीआई ( स्वतंत्र संस्था)के मूल्यांकन एवं प्रशिक्षण के बाद किया गया है। भारत सरकार के द्वारा नियुक्त संस्था इप्सोस द्वारा प्रदेश के 1300 ग्रामों का रैंडम सर्वेक्षण किया गया जिनमें 95 प्रतिशत में नल कनेक्शन मिले।