'पन्नू कांड पर समिति की रिपोर्ट सकारात्मक', भारत-अमेरिकी संबंधों की गहराई पर और क्या बोले गार्सेटी?
Eric Garcetti Interview अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने जागरण को दिए इंटरव्यू में पन्नू कांड से लेकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका की साझेदार तक कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी है। अमेरिका मे सत्ता परिवर्तन के साथ ही भारत से अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी विदा होंगे। उन्होंने आर्थिक और रणनीतिक मामलों पर भी द्विपक्षीय संबंधों को लेकर अपनी बात रखी।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका मे सत्ता परिवर्तन के साथ ही भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की विदाई हो जाएगी। दो वर्ष से ज्यादा लंबे समय तक वह इस पद पर रहे और दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई। विदाई के इस पहर में उन्होंने दैनिक जागरण से बात की और दुनिया के दो सबसे अहम रणनीतिक साझेदार देशों के रिश्तों के भविष्य पर बात की।
प्रश्न: पन्नू की हत्या की साजिश को लेकर भारत सरकार की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। आप इस रिपोर्ट को भारत-अमेरिका के रिश्तों के संदर्भ में कैसे देखते हैं?
उत्तर: यह बहुत ही सकारात्मक रिपोर्ट है। हम इसे उस दिशा में उठाया गया कदम देखते हैं जिसका वादा भारत सरकार ने किया था और अब उस पर अमल होना शुरू हो गया है। इस मामले में जैसा कि हम उत्तरादायी ठहराये जाने और सही बदलाव की मांग करते रहे हैं और इस रिपोर्ट में भी यही बात कही गई है। हां, लेकिन यह पहला कदम है।
आप सभी जानते हैं कि अमेरिका में भी इस घटनाक्रम को लेकर कानूनी मामला चल रहा है। भारत सरकार की समिति की रिपोर्ट ने भी यहां पर आपराधिक मामला चलाने की अनुशंसा की है। लेकिन यह भारत और अमेरिका के संबंधों की गहराई को भी दिखाता है।
यह बताता है हमारे द्विपक्षीय संबंध मजबूत हैं, हम ना सिर्फ नई ऊंचाई हासिल करने की क्षमता रखते हैं लेकिन बीच में मूल्यों में टकराव वाली कोई बात आती है तो उसको भी पार कर सकते हैं।
प्रश्न: अमेरिका के नए राष्ट्रपति भारतीय उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगाने की बात कर रहे हैं। इससे क्या द्विपक्षीय रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे?
उत्तर: मुझे उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच एक और कारोबारी युद्ध की शुरुआत नहीं होगी। दोनों देशों के बीच जो भी कारोबारी मुद्दों की पेंचें थी उन्हें हमने दो वर्ष पहले सुलझा लिया था। हमने कारोबारी रिश्तों को आगे बढ़ाने का मंच तैयार कर दिया है और अब समय है कि हम इसकी पूरी क्षमता का दोहन करें। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह पारदर्शी कारोबार में भरोसा करते हैं और मुझे यह सही भी लगता है।
मुझे लगता है कि जो बातें हो रही हैं वह एक तरह का आमंत्रण हैं कि हम कारोबार से जुड़े मुद्दों पर और गहराई से विमर्श करें। ताकि हम यह फैसला कर सकें कि भविष्य में सोलर पैनल का निर्माण कौन करने जा रहा है, सेमीकंडक्टर, ईवी के लिए बैट्री आदि कौन बनाने जा रहा है, परमाणु ऊर्जा में कौन सहयोग करने जा रहा है।
अगर हम कारोबार से जुड़े मुद्दों को साफ-साफ बात करके सुलझा लेते तो इससे किसका फायदा होगा? इसलिए जो भी नई सरकार की तरफ से कहा जा रहा है मैं उसे एक धमकी नहीं बल्कि विमर्श के आमंत्रण के तौर पर देख रहा हूं। भारत ने भी संकेत दिया है कि वह ट्रंप प्रशासन के साथ शुरुआत में ही बात करने और मुद्दे को सुलझाने को तैयार है।
प्रश्न: भारत और अमेरिका को अगले 15-20 वर्षों में किस तरह से आगे बढ़ता हुआ आप देख रहे हैं, खास तौर पर जिस तरह के बदलाव वैश्विक मंच पर होता दिख रहा है उस संदर्भ में?
उत्तर: दोनों के संबंध एक दूसरे के लिए अपरिहार्य होंगे। यह सिर्फ भारत में रहने वाले भारतवासियों व अमेरिका में रहने वाले अमेरिकियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए यह रिश्ता अनिवार्य होगा। अगर पांच से दस वर्ष आगे की बात करें तो हम सुरक्षा में और मजबूत साझेदार होंगे, शांति स्थापित करने में हम एक दूसरे के और करीब होंगे।
आर्थिक व कारोबार में रिश्ते नई ऊंचाई पर होंगे। दोनों लोकतांत्रिक देश प्रौद्योगिकी में काफी काम करेंगे और ऐसी प्रौद्योगिकी का साझा तौर पर ईजाद करेंगे जो हमारी सुरक्षा करे ना कि किसी को नुकसान पहुंचाये।
प्रश्न: आपने अपने कार्यकाल में हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत व अमेरिका के संबंधों को आगे बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र में भविष्य का एजेंडा क्या होगा?
उत्तर: इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि हम इस पूरे क्षेत्र को सभी के लिए खुला व समान अवसरों वाला बनाने में विश्वास रखते हैं, इस क्षेत्र में किसी भी एक देश का वर्चस्व नहीं होना चाहिए, किसी भी एक देश को यहां के लिए नियम-कानून बनाने की छूट नहीं होनी चाहिए।
जब भारत व अमेरिका साथ काम करते हैं तो यह इस क्षेत्र से जुड़ी हर ताकत को यह संदेश देता है कि कोई भी देश अकेले यहां के नियम नहीं बना सकता। भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि वह अमेरिका की तरह ही मूल्यों पर आधारित नीतियों को लेकर प्रतिबद्ध है और सभी को अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए, एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करना चाहिए।
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