'जीरो टैरिफ डील पर अमेरिका से नहीं हुई कोई बात', वाणिज्य मंत्रालय ने डोनाल्ड ट्रंप के दावे को किया खारिज
वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत ने अमेरिका को जीरो टैरिफ का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। मंत्रालय के अनुसार व्यापार समझौता इंडिया फर्स्ट और अमेरिका फर्स्ट की नीति के तहत पारस्परिक लाभ के आधार पर होगा। पीयूष गोयल के नेतृत्व में मई में अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता होगी जिसमें स्टील और एल्यूमीनियम शुल्क जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने ट्रंप के उस दावे को भी खारिज किया है जिसके तहत भारत की तरफ से अमेरिका को शून्य शुल्क नीति की पेशकश की बात की जा रही है। मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि दोनों देशों के बीच इंडिया फर्स्ट और अमेरिका फर्स्ट की नीति के तहत ही व्यापारिक समझौते होंगे।
दोनों के पारस्परिक लाभ को देखते हुए ही किसी भी सहमति पर मुहर लगेगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता की वार्ता काफी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। दोनों ही देश एक-दूसरे के संवेदनशील आइटम को व्यापार समझौते से अलग रखने की कोशिश करेंगे।
स्टील व एल्युमीनियम पर होगी अमेरिका से वार्ता
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में आगामी 17 से 20 मई तक अमेरिका में दोनों देशों के व्यापारिक समझौते को लेकर वार्ता होगी। उम्मीद की जा रही है कि आगामी नौ जुलाई से पहले ही भारत और अमेरिका के बीच शुल्क नीति को लेकर कोई न कोई समझौता जरूर हो जाएगा।
मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक स्टील व एल्युमीनियम पर अमेरिका की तरफ 25 प्रतिशत के जो शुल्क लगाए गए हैं, उस पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विरोध जताने का भारत के पास अधिकार है और हम अपने इस अधिकार को खोना नहीं चाहते हैं। स्टील व एल्युमीनियम के शुल्क पर भी अमेरिका से वार्ता होगी।
एपल के फोन निर्माण पर भी आया बयान
- वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही एपल कंपनी से भारत में फोन निर्माण नहीं करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन भारत इससे प्रभावित होता नहीं दिख रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मोबाइल फोन के निर्माण में भारत एक मजबूत निर्माता के रूप में विश्व पटल पर उभरा है और दुनिया की कंपनियां भारत की इस ताकत को स्वीकार रही है।
- तभी पिछले पांच-सात सालों में इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्यात में 600 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत में फोन निर्माण की लागत अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है और अन्य नीतियां भी इसके अनुरूप है। एपल के लिए भी भारत में माकूल माहौल है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक वैसे भी कंपनी यह निर्धारित करती है कि उसे कहां निर्माण करना है और कोई भी कंपनी अपनी उत्पादन लागत और उत्पादकता के साथ मुनाफे को ध्यान में रखते हुए निर्माण स्थल का चुनाव करती है।
- व्यापार हमेशा लाभ के सिद्धांत पर चलता है इन सब लिहाज से एप्पल को भारत में बढ़त मिलती दिख रही है। देश की सरकार भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग की प्रतिस्पर्धा क्षमता में और बढ़ोतरी करने की कोशिश कर रही है।
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